सीवर की सफाई करते दो कर्मचारियों की जहरीली गैस से मौत, कौन सुनेगा किसको सुनाए...वैसे भी सरकार हमेशा चुनाव जीतने के मूड में रहती है

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लखनऊ और रायबरेली में हुआ हादसाः सीवर से निकली जहरीली गैस से 4 मजदूरों की दम घुटने से मौत

लखनऊः भ्रष्टाचार और भयमुक्त का नारा देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार में क्या होता है यह तो यदा-कदा खुल ही जाता है। राजधानी लखनऊ का यह हाल है जहां प्रचंड बहुमत वाली सरकार के 273 विधायक हैं। यहां गरीब लोगों की जिंदगी के साथ ऐसा खेल खेला जाता है कि एक समझदार आदमी पशु-पक्षियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करता है। चहेतों का भला करने की नीतियत से यह कहा जाता है कि यूपी में योग्यता की कमी है। वैसे भी सरकार हमेशा चुनाव जीतने के मूड में रहती है।

उत्तर प्रदेश में सरकार को कोई ऐसा ठेकेदार नहीं मिला जिसको सफाई का ठेका दिया जा सके। कहावत है कि जब अंधा रेवड़ी बांटता है तो अपने को ही देता है। उसी तर्ज पर लगभग तीन साल पहले शासन ने वन सिटी वन आपरेटर स्कीम के तहत शहर के सीवर मेंटेनेस और एसटीपी संचालन का काम जलकल विभाग से छीनकर हरियाणा की निजी कंपनी शुएज इंडिया कंपनी को सालाना 77.50 करोड़ रुपये में लखनऊ में सीवर की सफाई का ठेका सौंप दिया था। कंपनी को फायदा पहुंचाने नीयत से मानको को दर किनार किया गया था। यह भी बात सामने आई है कि कंपनी जलकल की मशीनों को किराए पर लेकरन काम करा रही है। कंपनी ज्यादा कमाने की नियत के चलते बगैर सुरक्षा उपकरण के सीवर की सफाई के लिए मैनहोल में उतरे शुएज इंडिया कंपनी के तीन कर्मचारी जहरीली गैस की चपेट में आ गए। इनमें से एक को तो लोगों बाहर निकाल लिया, जबकि दो भीतर ही बेहोश हो गए। पुलिस की मदद से लगभग एक घंटे बाद सीवर लाइन में फंसे कर्मचारियों को बाहर निकाला गया और ट्रामा सेंटर इलाज के लिए ले जाया गया, जहां दो दो कर्मचारियों की मौत हो गई, जबकि तीसरा भर्ती है।

लखनऊ में मंगलवार को सआदतगंज की गुलाब नगर बस्ती में बगैर सुरक्षा उपकरण के सीवर लाइन की सफाई के लिए मैनहोल में उतरे शुएज इंडिया प्राइवेट कंपनी के तीन संविदा कर्मचारी पूरन (27), कैलाश व मूल रूप से उन्नाव का रहने वाला करन (37) मैनहोल में उतर कर सफाई का कार्य कर रहे थे। इसी बीच जहरीली गैस की चपेट में आ गये। जिससे उनकी तबियत बिगड़ने लगी। इसमें से 28 वर्षीय कैलाश ने शोर मचाया तो लोग जुट। इसके बाद मैनहोल के मुहाने पर पड़े कैलाश को निकाला गया, लेकिन पूरनव करन भीतर ही गिरकर बेहोश हो गये। इसकी सूचना मिलने पर एसीपी बाजारखाला अनिल कुमार यादव व सआदतगंज इंस्पेक्अर बृजेश कुमार यादव फोर्स  के साथ पहुंच गये और एक घंटे बाद मैनहोल से मजदूरों को निकालकर ट्रामासेंटर में भर्ती कराया गया।यहां पर पूरन, करन को मृत घोषित कर दिया गया। जबकि कैलाश का इलाज चल रहा है। हादसे की सूचना मिलते ही पुराने शहर के सफाई कर्मचारी और मृतकों के परिवारीजन ट्रामा सेंटर पहंुच गये। इसके बाद एसीपी चौक आईपी सिंह कई थानों की फोर्स लेकर पहुंच गये।  सफाईकर्मचारी ट्रामा सेंटर के अंदर जाने की मांग पर अड़े थे। जिन्हे एसीपी ने समझाकर रोक लिया। 

हरियाणा की निजी कंपनी शुएज इंडिया कंपनी का सुपरवाइजर अमित कुमार घबराकर कर्मचारियों को छोड़कर भाग गया।अंबरगंज की पार्षद नूर अफ्शा के पति मो.अहसान ने बताया कि क्षेत्र में सीवर लाइन चोक होने की जलकल विभाग में शिकायत की थी। इस पर शुएज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का सुपरवाइजर अमित कुमार सफाईकर्मियों को लेकर आया था। जहां कर्मचारियों की सुरक्षा के कोई व्यवस्था नहीं थी। जिसके कारण यह हादसा हुआ।

नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि हरियाणा की निजी कंपनी शुएज इंडिया तीन साल से सीवर सफाई का काम कर रही है। जलकल के अधिशासी अभियंता बंशीधर राजपूत ने कंपनी पर केस कराया है। वहीं प्रशासनिक जांच के लिए अपर नगर आयुक्त अभय पांडेय को जांच अधिकारी बनाया गया है। अवर अभियंता कुलदीप कुमार को लापरवाही में निलंबित कर दिया गया है। महापौर संयुक्त भाटिया ने भी डॉक्टरों से कैलाश की जानकारी ली। बताया कि पीडित परिवार में से एक को नौकरी दी जाएगी। उधर शासन ने लखनऊ के साथ ही रायबरेली की अलग-अलग घटनाओं में दो-दो सफाईकर्मियों की मौत पर रिपोर्ट मांगी है। अपर मुख्य सचिव नगर विकास डॉ रजनीश दुबे ने डीएम रायबरेली के अलावा लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी से मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गयया है। शासन ने घटना का विस्तृत ब्योरा व प्रभावितों को दी गई मदद और उततरदायी लोगों पर कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट तलब की है।

शासन और न्यायालय दोनों ने सीवर मैनहोल  में कर्मचारियों को उतारने पर रोक लगा रखी है। कंपनी यह दावा कर रही थी कि वह मैन होल की सफाई के लिए रोबोट लाएगी। लकिन यह दावा कागजी ही है। सीवर मैनहोल में कर्मचारियों को उतारा जा रहा है। जब तक दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से पालन के साथ ठेेकेदारी प्रथा पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जाती है तब तक यह कहना पूरी तरह से छलावा साबित होगा कि आगे ऐसी घटनाएं नहीं होगी। यहां तो सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है तो गरीब लोगों की जिंदगी के साथ इसी तरह निजी कंपनी के लोग खेलते रहेंगे। घटना के बाद एक आध को सरकारी नौकरी देकर और चंद मुआवजे देकर रफादफा कर दिया जाएगा। जरा उससे पूछ लो जिस मां का जवान बेटा और पत्नी का सुहाग उजड़ गया और मासूमों के सिर से बाप का हाथ उठ गया है।

इस हृदय विदारक घटना के बाद राजाजीपुरम ई ब्लॉक सब्जी मंडी के रहने वाले करन की मौत से जल संस्थान में संविदा कर्मचारी उसके पिता महेश, माता संगीता और छोटे भाई अर्जुन अपने आपको संभाल नहीं पा रहे थे। इनका रो-रोकर बुरा हाल है। साथ ही राजाजीपुरम में डबल पुलिया के पास झोपड़पटटी में रहने वाले पूरन के परिवार में पत्नी संजना, बेटी पूर्वा, बेटा विवेक और बेटी आलिया हैं। संजना ने बताया कि कई माह से बेरोजगार पूरन को एक दिन पहले कंपनी ने काम अपने यहां रखा था। वहीं राजाजीपुरम में डबल पुलिया के पास झोपड़पटटी में रहने वाले कैलाश की हालत गंभीर होने से परिवारीजन परेशान हैं।

 इस घटना के बाद के बाद शहर के सफाई कर्मचारी आक्रोशित हो गये। कुछ ही देर में 300 से अधिक सफाई कर्मचारी ट्रामा सेन्टर के बाहर पहुंच गये। कर्मचारियों ने यहां हंगामा व प्रदर्शन शुरू कर दिया। लोग नगर निगम व जलकल के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इस बीच नगर आयुक्त मौके पर पहुंच गये।   कर्मचारी नगर निगम, जलकल व सुएज के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। इस बीच नगर आयुक्त भी ट्रामा सेंटर आ गए। नगर आयुक्त को देख कर्मचारी और आक्रोशित हो गये। मृतकों के परिवार की महिलाएं व कर्मचारी नगर आयुक्त की गाड़ी के आगे लेट गए। उधर तमाम कर्मचारी नगर आयुक्त की गाड़ी पर हाथ मारने लगे। हंगामा करने लगे। अभद्रता पर भी उतर आए। किसी तरह सुरक्षा कर्मियों ने महिलाओं को गाड़ी के आगे से हटाया। इसके बाद पीछे से नगर आयुक्त को किसी तरह से बाहर निकाला जा सका।

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