इस कमरतोड़ महंगाई में निजी क्षेत्र के अधिकांश कर्मचारियों को 7000 से 15000 के बीच वेतन मिलता है! जिससे अपने परिवार के भरण-पोषण के साथ ही बच्चों की शिक्षा दीक्षा और उनकी शादी बरात करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है! अधिकांश कर्मचारियों को बच्चों की पढ़ाई और शादी बरात के लिए कर्ज लेना पड़ता है जिसकी भरपाई करने में वह असमर्थ रहते हैं! इस कर्ज की भरपाई करने के लिए वह अपने पीएफ खाते से पैसा निकाल कर करते हैं! जब यह कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं तो इनके पास भविष्य निधि के नाम पर कुछ भी नहीं होता है यहां तक कि उनको पेंशन भी गुजर बसर करने के लिए बहुत कम मिलती है!
शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि पीएफ जमा पर 8.1 फीसद ब्याज दर को मंजूरी दे दी है! विगत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 0.4 फीसद की कटौती की गई है! इस फैसले से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के 5 करोड़ खाताधारकों को बड़ा झटका लगा है! ब्याज दर पिछले चार दशकों में सबसे कम है! इससे पहले 1977-78 में 8 फीसद ब्याज दिया गया था! तब से यह 8.25 फीसद या इससे अधिक रही है! इस वर्ष मार्च में श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गुवाहाटी में हुई बैठक में ईपीएफओ ने 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.1 फीसद ब्याज दर रखने का फैसला लिया था जबकि 2020 और 21 में यह 8.5 फीसद थी!
ईपीएफओ के आदेशानुसार श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सदस्यों के खाते में 8.1 फीसद की ब्याज दर भेजने की अनुमति दे दी है!

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