विश्व पर्यावरण दिवस आज, प्रकृति हमें निस्वार्थ भाव से जीने के लिए सब कुछ देती है लेकिन मनुष्य स्वार्थवश प्रकृति का ही दोहन करने पर उतारू है

 


सभी जीव धारियों में मनुष्य सबसे समझदार प्राणी माना जाता है! लेकिन कलयुग के चलते और आवश्यकता की पूर्ति के लिए वह स्वार्थी हो जाता है! वह भविष्य की आवश्यकता और योजनाओं के चलते प्रकृति के साथ-साथ पशु पक्षी यहां तक की भाई बंधुओं को भी हानि पहुंचाने से गुरेज नहीं करता है! वैसे तो हम साथ हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं लेकिन यह कभी संकल्प नहीं लेते हैं कि अब हम प्रकृति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएंगे! प्रकृति जो हमें निस्वार्थ भाव से दे रहे हैं उसी को हम अपने प्रयोग में लाएंगे! जाने अनजाने में हम रोजाना धरती प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं प्रकृति तो हमें निस्वार्थ भाव से जीने के लिए सब कुछ देती है फिर भी हम अपने स्वार्थ के लिए उसके ही दोहन पर क्यों उतारू हो जाते हैं! विश्व पर्यावरण दिवस पर हमें इन सवालों को खुद से पूछना होगा! 

विश्व पर्यावरण की समस्या पर विचार विमर्श करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था! 5 जून से शुरू हुए इस सम्मेलन में पूरी दुनिया के 100 से ज्यादा देशों के सदस्यों ने भाग लिया था इस सम्मेलन का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लापरवाही ना बरतना था पर्यावरण का संबंध उन जीवित और गैर जीवित चीजों से हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं और जिनका होना हमारे लिए महत्वपूर्ण है इसके अंतर्गत वायु जल मिट्टी मनुष्य और पशु पक्षी आदि आते हैं! 

पर्यावरण को दूषित करने के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार हम हैं हम जिस तरह पर्यावरण को प्रदूषित करने में लगे हैं संभव है कि आने वाली पीढ़ियों को साफ हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो जाए प्रकृति के दोहन का खामियाजा हमें झुलसा की गर्मी कब कपाती ठंड और बाढ़ के रूप में चुकाना पड़ रहा है दूषित होते पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको साथ आना होगा जाने अनजाने जो लोग वातावरण को दूषित कर रहे हैं! उन्हें शीघ्र रोकना होगा! हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि , प्रकृति हमें निस्वार्थ भाव से जीने के लिए सब कुछ देती है! लेकिन हम स्वार्थ के लिए इसे ही नुकसान पहुंचा रहे हैं अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है! विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का सही मायने में अर्थ तभी निकलेगा जब हम हर दिन को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाएं! साथ ही यह संकल्प लें हम और हमारे आसपास के लोग किसी भी प्रकार से प्रकृति को प्रदूषित नहीं करेंगे और ना ही उसका दोहन करेंगे! 

जिस देश में हम रहते हैं वहां की प्रकृति और पर्यावरण को अच्छी तरह से समझे मुझे थे लेकिन जब से हमने पश्चिमी देशों की नकल की है वहां की भाषा भोजन और वेशभूषा , को अपने जीवन में उतारना शुरु किया हमने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी और अपने पैरों के नीचे से जमीन को भी किसका दिया! पूरी दुनिया में पहले यह प्रथा हर गांव की थी कि एक गांव के उत्पाद दूसरे गांव तक जाते थे और आपस में विभिन्न उत्पादों का लेनदेन करते थे और यह आज गांव में भी जिंदा है! यदि खाड़ी देश लोग तेल पैदा करते हैं तो हम दुनिया के सबसे बड़े चावलों के निर्यातकों में एक हैं हमारे आम स्कैंडिनेविया में प्रसिद्ध है! इसी तरह विभिन्न देश एक दूसरे से उत्पादन से जुड़े हैं और एक दूसरे की आपूर्ति करते हैं! हम सब को एक साथ मिलकर थी और प्रकृति को समझते हुए एक बड़े नारे के साथ पर्यावरण संरक्षण प्रकृति को बचाने की पहल करनी होगी! 

Post a Comment

please do not comment spam and link

और नया पुराने