मुख्यमंत्री जी के कृषक विरोधी रवैया का शर्मनाक नमूना अभी लखीमपुर खीरी में देखने को मिला है जहां भारतीय किसान यूनियन (टिकैत ग्रुप) के जिलाध्यक्ष श्री दिलबाग सिंह के वाहन पर दो बाइक सवारों ने गोलियां चलाईं। श्री दिलबाग सिंह 3 अक्टूबर 2021 को हुए तिकोनिया काण्ड, जब केन्द्रीय राज्य मंत्री के बेटे द्वारा जीप से किसानों को कुचला गया था, के गवाह भी हैं। हमले की इस घटना में वे बाल-बाल बच गए। हमलावर उनकी हत्या करना चाहते थे। क्या यही जीरो टॉलरेंस है भाजपा सरकार का?
भाजपा ने पांच साल पहले अपने चुनाव घोषणा-पत्र, जिसे संकल्प-पत्र नाम दिया गया था, में किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया गया था। यह संकल्प 2022 में पूरा हो जाना चाहिए परन्तु आज तक भाजपा सरकार उस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी। भाजपा लगातार किसानों से झूठे वादे करके जनता की निगाह में अपनी विश्वसनीयता खो रही है।
महंगाई के चलते खेती का लागत मूल्य बढ़ता जा रहा है। पेट्रोल-डीजल, खाद, बीज, कीटनाशक के दाम बढ़ने से खेती पर बोझ बढ़ा है। किसान की फसल को लागत से ड्योढ़ा लाभप्रद मूल्य मिलना चाहिए पर इस बार तो उसे फसल पर एमएसपी भी नहीं मिल सकी। किसानों की फसल को 5 बड़ी कम्पनियों ने औने-पौने दामों पर खरीद लिया। सरकारी सांठगांठ के चलते राज्य सरकार के क्रय केन्द्र बहुत जगहों पर खुले नहीं, जहां खुले थे वहां कई-कई दिन तक खरीद नहीं हुई। किसान को समय से भुगतान का तो सवाल ही नहीं।
मुख्यमंत्री जी गन्ना किसानों की मदद का दावा जोरशोर से करते हैं लेकिन आज भी उनकी सरकार यह नहीं बताती कि अभी सहकारी और निजी चीनी मिलों पर किसानों का कितना धन बकाया है? हजारों करोड़ रूपये के बकाये को छुपाने के लिए भाजपा सरकार आंकड़ों का मकड़जाल बिछा रही है। गन्ना किसानों को समय से भुगतान का नियम भाजपा को रास नहीं आता हैं क्योंकि वह चीनी मिल मालिकों की सुविधा देखती है।
अन्ना पशु किसानों की फसल को बड़े पैमाने पर बर्बाद करते रहे हैं। भाजपा सरकार उस ओर से अपनी आंखे मूंदे हुए है। आवारा जानवरों के हमलों से सैकड़ों लोग मौत के मुंह में चले गए। गौ-माता के नाम पर अपनी राजनीति करने वाली भाजपा सरकार गौ-वंश की रक्षा में अक्षम्य लापरवाही बरत रही है। फलतः चारा-पानी के अभाव में सैकड़ों गायें मौत के मुंह में चली गई। गौ-आश्रय केन्द्रों में गौ-वंष के देखभाल में भारी लापरवाही बरती जा रही है। राज्य सरकार अब गौ-वंश के लिए लोगों से ‘चारा दान‘ करने की मांग कर अपनी असहाय स्थिति उजागर कर रही है। ऐसा अन्याय और अत्याचार भाजपा सरकार में ही देखने को मिल रहा है।
समाजवादी सरकार किसानों की सरकार थी। राज्य के बजट में बजट का 75 प्रतिशत बजट केवल ग्रामीण विकास, गांव और खेती के विकास के लिए रखा गया था। समाजवादी सरकार में कामधेनु योजना शुरू हुई थी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा था। कामधेनु और पोल्टी फार्म पर समाजवादी सरकार इंट्रेस्ट सब्सिडी देती थी। भाजपा सरकार से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है। यही नहीं समाजवादी सरकार में किसानों को मुफ्त सिंचाई और कर्ज माफी के साथ समय से खाद, बीज, कीटनाशक उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की गई थी। इससे किसान को फसल के समय इधर-उधर दौड़ना नहीं पड़ता था!
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