Bihar Assembly Election-2020 : 1066 उम्मीदवारों में 319 दागी


लखनऊः चुनाव आयोग और देश की सर्वोच्च न्यायालय की लाख कोशिशो के बावजूद भी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव-2020 के पहले चरण में 71 सीटों पर चुनाव होने हैं। दिनारा विधानसभा से 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जिनमें नौ प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें सर्वाधिक उम्मीदवार गुरुआ विधानसभा क्षेत्र में हैं। यहां 10 प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैं।  


 

पहले चरण में कुल 1,066 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 319 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। बांका, शेखपुरा और शाहपुर में आठ-आठ उम्मीदवारों पर आपराधिक मुदकमे हैं। सुल्तानगंज, कटोरिया, मोहनिया, बाराचट्टी और जमुई के मतदाता भाग्यशाली हैं। इन पांचों सीटों पर एक-एक दागी उम्मीदवार ही हैं। जदयू ने गोपालगंज के कुचायकोट से बाहुबली अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय को अपना उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने बाहुबली बोगो सिंह को भी उम्मीदवार बनाने में कोई परहेज नहीं की। 

कुछ दिनों पहले जेल से छूटे रीतलाल राय उर्फ रीतलाल यादव को राजद ने दानापुर से उम्मीदवार बनाया है। मोकामा से बाहुबली अनंत सिंह को टिकट दिया है। पार्टी ने तो अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपने 38 वैसे प्रत्याशियों का ब्यौरा दिया है। लोजपा ने ब्रह्मपुर से बाहुबली हुलास पांडेय को मैदान में उतारा है तो इनके बड़े भाई बाहुबली सुनील पांडेय लोजपा छोड़ निर्दलीय तरारी से मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

लोकसभा हो या फिर विधानसभा चुनाव राजनीति से आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों का खात्मा नहीं हुआ। कमोवेश सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए सभी दलों ने बाहुबलियों का सहारा लिया। बिहार का शायद ही कोई विधानसभा क्षेत्र हो, जहां बाहुबली चुनाव को प्रभावित करने की हैसियत न रखता हो। चुनाव जीतने के लिए अधिकांश दलों ने इन स्थानीय दबंगों या फिर उनके सगे-संबंधी रिश्तेदारों को उम्मीदवार बनाया है।

2005 से 2015 तक की एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस (एडीआर) 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में 3,058 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जिनमें 986 दागी थे। वहीं 2015 के चुनाव में 3,450 में से 1,038 आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार थे। इनमें से 796 के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने, अपहरण और महिला उत्पीड़न जैसे मामले दर्ज थे। 2015 के चुनाव में जदयू ने 41, राजद ने 29, भाजपा ने 39 और कांग्रेस ने 41 फीसदी दागियों को टिकट दिया। यही वजह है कि 243 सदस्यीय विधानसभा के 138 विधायक दागी थे। मतलब 57 फीसदी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें 95 के खिलाफ तो गंभीर मामले थे।


 

यदि दलगत स्थिति को देखे तो राजद के 81 विधायकों में 46, जदयू के 71 में 37, भाजपा के 53 में 34, कांग्रेस के 27 में 16 और सीपीआई (एम) के तीनों तथा रालोसपा और लोजपा के एक-एक विधायक के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। 2010 में जीत हासिल करने के बाद विधानसभा पहुंचे 57 फीसद। 2015 में 58 फीसद माननीयों पर केस चल रहा था। 2010 में 33 फीसद तो 2015 में 40 फीसद, विधायक गंभीर आपराधिक मामले में आरोपित थे।


 

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