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| रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर |
लखनऊः ज्यादातर जनता के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते है। बैटिंग करना हो या फिर बालिंग यहां तक एंपायर के लिए भी फिट बैठते हैं। प्रधानमंत्री को सर्वेसर्वा कहा जाए तो अतिसयोक्ति नहीं होगी। हां विषम परिस्थितियों में अन्य मंत्रियों की तरह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी भी तेरा खाना रिंच की तरह फिट हो जाते हैं। यदि संकट मोचन कहा जाए तो ज्यादा नहीं होगा। जिस तरह से रूठी गोपियों को मनाने के लिए भगवान कृष्ण ने उधव को भेजा, इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को किसानों में उद्वव ज्ञान देने के लिए मोचे पर लगा दिया है। अब देखना है कि गोपियों की तरह किसान मानेंगे या फिर अपनी मांगों पर अड़े रहेंगे।
नए कृषि कानून का चारो तरफ विरोध का सामना कर रही केंद्र सरकार अब किसानों में मजबूत पकड़ रखने वाले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को बार्डर के सैनिक तरह मोर्चे पर लगा दिया है। इसी कड़ी में राजनाथ सिंह ने कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ मिलकर पद्मश्री प्राप्त कई किसान और किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनका मन की बात जानने की कोशिश की।
बैठक में मंत्रियों ने स्पष्ट किया कि नए कृषि कानून से मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद जारी है। खेती के क्षेत्र में विकास की राह प्रशस्त होगी। केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि लंबे समय से कृषि सुधारों की मांग हो रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है, लेकिन अब राजनीतिक स्वार्थ के चलते कुछ राजनीतिक दल एजेंडे के तहत कृषि सुधारों का विरोध कर रहे हैं। बैठक में किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन एमजे खान ने कृषि सुधारों के सकारात्मक पहलुओं पर जोर दिया। बैठक में हरियाणा से पद्मश्री प्राप्त किसान कमल सिंह चौहान, सुल्तान सिंह, नरेंद्र सिंह तथा उत्तर प्रदेश से पद्मश्री प्राप्त राम सरन वर्मा और भारत भूषण त्यागी, राजस्थान से पद्मश्री जगदीश प्रसाद पारीक समेत अन्य किसान नेताओं ने हिस्सा लिया।
बैठक में किसान नेताओं ने सरकार से मांग की कि वह अनिवार्य एमएसपी को सुनिश्चित कराएं। उनका कहना था कि क्योंकि यह खरीद निजी क्षेत्र को करना है ऐसे में सरकारी खजाने पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन किसान को उसकी फसल का न्यूनतम मूल्य मिलने में आसानी होगी। कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) बिल-2020 इसके तहत किसानों को विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित मंडी से बाहर भी जहां भी उन्हें अपनी उपज की बेहतर कीमत मिले वहां बेचने की छूट होगी। फसल की बिक्री पर कोई टैक्स भी नहीं लगेगा। ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी। इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे और उनकी आय बढ़ेगी। फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि करार करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी। किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे। इससे किसानों की आय बढे़गी और बिचौलिया राज खत्म होगा। जरूरी खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, दालें, आलू, प्याज और तिलहन आदि के भंडारण की सीमा खत्म कर दी गई है। सिर्फ राष्ट्रीय आपदा की स्थितियों में ही इनके भंडारण की सीमा तय की जाएगी।

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