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| तेजस्वी यादव |
कोई भी राजनीतिक दल दूध का धुला नहीं है। गाना है कि जिसने पाप न किया हो वह पापी न हो। यदि गौर देखा जाएगा तो कोई इससे अछूता नहीं है। कोई इंसान अपराधी नहीं बनना चाहता है लेकिन हालात उसे मजबूर कर देते हैं। यहां तक रामरहीम के साथ बड़े-बड़े संत भी अछूते नहीं रह पाएं। मान लेते हैं बिहार में लालू यादव दोषी है। तो क्या लालू यादव के दोष की सजा उनके बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप यादव व उनकी पत्नी दी जाए। कुछ लोगों को आदत होती है जले पर नमक छिड़कने की। हमने सुना है कि जो दोषी होता है उसी को सजा मिलती है।
किसान का बेटा तो किसान हो सकता है। साथ ही आईएस भी बन सकता है, अक्सर सुना और देखा जाता है कि अपराधी का बेटा अपराध की दुनिया में न जाकर, समाज के लिए अपने जीवन का आधार बनाता है। यदि अपराधी को बेटे को हमेशा गलत नजरिए देखा जाएगा तो वह परेशान होकर बड़ा अपराधी बन जाएगा। यदि अपराधी का बेटा-बेटी देश के लिए कुछ करना चाहता है तो हम सबका उत्तरदायित्व है कि उसको भरपूर मौका देना चाहिए। कोई जन्म से अपराधी नहीं होता। समाज ही उसको अपराधी बनाता है।
बिहार चुनाव 2020 को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने दावे कर रही हैं और आरोप-प्रत्यारोप लगा रहें हैं। इसके साथ ही मुख्य विपक्षी दल आरजेडी व मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने भी वादा किया है कि हम बिहार के बेरोजगारों को 10 लाख नौकरी देंगे। इसमें बुराई क्या है। मेडिकल, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद सभी विद्यार्थियारें का सपना होता है कि वह एक अच्छा अफसर बनकर देश की सेवा करें यदि तेजस्वी यादव उनके इस सपने को पूरा करने के लिए सभी दरवाजे खोल रहे हैं तो विपक्ष को जलन क्यो हो रही है।
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| बेरोजगारों को नौकरी |
विपक्ष ने पहले कहा था कि 10 लाख कर्मियों के वेतन का पैसा कहां से आएगा। मान लेते हैं कि इस समय बिहार की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। तो क्या हमेशा के लिए बिहार के बेरोजगारों को नौकरी नहीं दी जाएगी। बिहार के पढ़े-लिखे डिग्रीधारी लोग पकौड़ा तलने व चाय और पान की दुकान करेंगे। यदि यही सब करना था 25 साल की जिंदगी और लगभग 25 लाख रुपए जो पढ़ाई में खर्च कर मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और मेडिकल की कड़ी मेहनत की साथ पढ़ाई क्यों करते। साथ ही जब बिहार के डिग्रीधारी लोगों के लिए बजट नहीं है तो मेडिकल काॅलेज और इंजीनियरिगं काॅलेज खोलने का कोई मतलब नहीं है। कुछ दिन के बाद जब बिहार में डॉक्टर की जरूरत होगी तो सरकार डॉक्टर कहां से लाएगी। इलाज के अभाव में बिहार के मरीजों को अपनी जान गवानी पड़ेगी।
2014 के चुनाव में बीजेपी ने बड़े-बड़े वादे किए थे यदि गौर से देखा जाए तो पता चल जाएगा कि कितने बेरोजगारों को रोजगार मिला है कितने किसानों को किसान सम्मान निधि का लाभ मिला है और कितनी सड़के गड्ढा मुक्त हुई है, कितने गांव में शुद्ध पेयजल पहुंचा है। कितने सीएससी और पीएससी में पैरामेडिकल स्टाफ और दवा भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज का पढ़ा-लिखा युवा बेरोजगार हैं। देश की तरक्की पढ़े-लिखे युवाओं से होती है। जो देश के कर्णधार हैं। इनके विकास से ही देश का विकास है।
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| भारत वैज्ञानिक और इंजीनियरों में अत्याधुनिक मिसाइल बनाने की क्षमता है। जरूरत है प्रोत्साहन की |
आज चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी 19 लाख रोजगार देने का वादा किया हैं तो इसके लिए पैसा कहां से आएगा। यदि 19 लाख लोगों को हर साल रोजगार दिया होता तो शायद आज बिहार के लोगों को रोजगार के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मुंबई में न जाना पड़ता। लाकडाउन के समय जो बिहार के लोगों ने त्रासदी झेली है। वह उनको न उठानी पढ़ती। बिहार के लोग अपने प्रदेश में नौकरी कर रहे होते। लॉकडाउन में एक लड़की ने अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर कितना लंबा सफर करके अपने गंतव्य स्थान तक पहुंची थी यह लगभग पूरा देश जानता है। लेकिन वर्तमान सरकार में ऐसे लोगों को उनके गंतब्य तक भेजने के लिए साधन तक मुहैया नहीं करा पाई। बात 19 लाख लोगों को रोजगार देने की कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले बाढ़ से जितना प्रभावित बिहार हुआ था वह लगभग पूरा देश जानता है उस समय हमारे माननीय प्रधानमंत्री और जिम्मेदार नेता, मंत्री कहां सो रहे थे।
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| बिहार के लोगों फ्री में कोरोना वैक्सीन, बाकी देशवासी |
बीजेपी द्वारा यह भी कहा गया है कि बिहार को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। बाकी देशवासी माननीय प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं हम लोगों ने बीजेपी को वोट दिया था अब हम आपके दुश्मन हो गए हैं। शायद आपके जेहन में याद आता होगा कि बाकी देशवासी मालामाल हैं उनको फ्री के टीके की जरूरत नहीं। आने वाले समय में जब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चुनाव होंगे तब वहां भी बड़ी-बड़ी घोषणा करेंगे। लाखों लोगों को रोजगार देंगे साथ में कोरोना महामारी से बचने के लिए फ्री में टीके लगवाएंगे। इसी तरह जहां चुनाव होंगे वहीं पर कोरोना महामारी से बचने के लिए वैक्सीन के फ्री में टीके दिए जाएंगे बाकी देश के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा।
नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी, यातायात, दवा इलाज आदि के बारे में भी चर्चा की जाए तो विगत 5 सालों में देखने को मिलेगा की अधिकांश परिषदीय विद्यालयों में आज भी शिक्षक प्रर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। एक शिक्षक दो-तीन कक्षाओं के बच्चों को जानवर के बच्चों की तरह रोके रहता है। सीएससी-पीएससी में पैरामेडिकल स्टाफ और दवा की सुविधा होती तो आज महामारी के समय लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास न जाना पड़ता है। यहां तक की बहुत सारे लोग ऐसे भी होंगे जिन को पैसे के अभाव में भूखे रहना पड़ा होगा। साथ ही इलाज के अभाव में कुछ लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी होगी। तब हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी क्या कर रहे थे।
कोरोना महामारी के पहले देश की जीडीपी कई दशकों के निचले स्तर पर थी। अब तो और ही दयनीय स्थिति हो गई है। यहां तक माइनस में चली गई। भारी भरकम लोगों की नौकरियां जा रही हैं। जिन लोगों की नौकरी रोजगार कोरोना महामारी में चले गये और बेरोजगार हो गए हैं। इनके लिए सरकार रोजगार कहां से लाएगी। सबसेे पकौड़ा तलाएंगे। विगत 5 सालों में अधिकांश किसानों की हालत बद से बदतर हो गई है। दावा तो समर्थन मूल्य का किया जाता है, लेकिन धरातल पर पता लगाया जाए तो मालूम हो जाएगा कितने किसानों को समर्थन मूल्य मिल रहा है। किसान उस समय और ज्यादा परेशान हो जाता है जब दैवीय आपदा का प्रकोप झेलता है। एक बार फसल बर्बाद हो गई तो साल भर उसको संभलने लग जाता है।
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| सिंचाई के अभाव में बदहाल फसल को निहारता किसान |
चुनाव के समय किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया गया था। किसानों से पूछा जाए तो ज्यादातर यही कहेंगे कि बिक्री केंद्र पर किसान पैदावार लेकर जाते हैं तो बहुत सारे बहाने बनाए जाते हैं जिससे किसान बचना चाहता है इसीलिए आज भी अधिकांश किसान अपनी उपज बिचौलियों के हाथ बेचने के लिए मजबूर है जिससे उनको उपज का भरपूर मूल्य नहीं मिल पाता है । लगभग आधे से ज्यादा किसान ऐसे हैं जिनको अपने बेटे और बेटियों की शादी करने के लिए साहूकारों या फिर जमीन गिरवी रख कर कर्ज लेना पड़ता है। जो कर्ज अदा नहीं कर पाते हैं उनके सामने आखिर में आत्महत्या करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है।
अब जो बची खुची कसर थी कृषि कानून बनाकर किसानों की जमीन पर भी बड़े-बड़े पूंजीपतियों का कब्जा कराने की कोशिश की जा रही है। अब किसान अपने बेटे को कैसे पढ़ाएंगे। क्या किसान का बेटा हमेशा किसान ही रहेगा। वह डाॅक्टर, इंजीनियर प्रोफेसर नहीं बनेगा। इसके बारे में सरकार कभी भी ठोस कदम उठाने की जरूरत नहीं समझा। वह तो सिर्फ पूंजीपतियों का ही ध्यान रखती है और उन्हीं का कर्ज माफ करने की भरपूर कोशिश में लगे रहती है।
यदि किसान खुशहाल होगा तो हमारा देश मालामाल होगा। बहुत पहले एक नारा दिया गया था की जय जवान, जय किसान। जब इस नारे को पूरी तरह आत्मसात किया जाएगा तभी हमारे देश में खुशहाली आएगी। नहीं तो चुनावी दावे चाहे जितने किए जाएं। हम जहां के तहां ही रहेंगे ।अभी सुना गया है कि सभी पढ़े-लिखे बेरोजगारों को नौकरी नहीं दी जा सकती है तो फिर उतने ही लोगों को पढ़ाइए जिनको नौकरी दे पाएं। बाकी लोगों को ऐसे ही उनके भाग्य पर छोड़ दिया जाए। उनकी 25 साल की जिंदगी और लगभग 25 लाख रुपए पढ़ाई-लिखाई में न बर्बाद किए जाएं।
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| बेरोजगारी से अपराधी बढ़ने की ज्यादा उम्मीद |
हमारे देश में पढ़े लिखे डिग्री धारी डॉक्टर और इंजीनियर बेरोजगार होंगे तो अपराध घटने की बात करना बेमानी साबित होगी। जब युवाओं को रोजगार मिलेगा तो अपराध में निश्चित तौर कमी आएगी। तब युवा अपराध के बजाए अपने देश की तरक्की के बारे में सोचेगा। तभी हमारा देश अमेरिका चीन और जापान से मुकाबला कर सकता है। हमको राफेल बाहर से नहीं मगाना पड़ेगा। हम अपने ही देश में अत्याधुनिक राफेल और मिसाइल बनाएंगे। हमारे देश के युवाओं में आसमान में सीढ़ी लगाने की क्षमता है। जरूरत इस बात की है कि उनकी लगन को देश तवज्जों दे। कलाम साहब के आदर्शो को अपनाकर बड़ी-बड़ी मिसाइलें वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से तैयार कराएंगे। तब जाकर आत्मनिर्भर हो पाएंगे। हम चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं।







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