पूर्व सूबेदार और कुश्ती में राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता ने पिया सैनिटाइजर, मौत


लखनऊः जन्म मरण, जस-अपजस विधि हाथ। प्रत्येक जीवधारी का जन्म और मृत्यु विधाता के हाथ है। हां बहाने कई हो सकते हैं। समय भी निश्चित है। ऐसा धर्म शास्त्रों का मानना है। सेना में तीन साल सूबेदार के पद पर अपनी सेवाएं देने के बाद भी उसका मन नहीं लगा और उसने नौकरी छोड़ दी। हिमाचल प्रदेश स्थित नालागढ़ के सैनी माजरा निवासी अजय को राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिला था।  डकैती के केस में तीन माह से केंद्रीय जेल में था बंद, परिवार ने माना कुछ दिन से बीमार चल रहा था । अजय ठाकुर उर्फ अज्जू ने सैनिटाइजर पीकर मौत को गले लगा लिया।  

अजय व दोस्त वीके राणा ने मिलकर सैनी माजरा में खोले गए बजरंग अखाडे़ में कुश्ती में रूचि रखने वाले युवाओं को पहलवानी के दाव-पेंच सिखाने शुरू कर दिए। इस समय भी अखाड़े में लगभग दो दर्जन युवा पहलवानी के दांव-पेंच सीख रहे हैं। 

हां कोई भी जीवधारी मरना नहीं चाहता है। यहां तक कि लोग अपनी जान बचाने के लिए दूसरों की जान लेने में भी परहेज नहीं करते हैं। सभी प्राणियों में सबसे बुधिमान मनुष्य होता है, लेकिन परिस्थितियां इंसान के लिए जिंदगी बोझ लगने लगती है। यदि परिस्थितियां बिपरीत हो जाएं तो मनुष्य अनचाहे कदम उठा लेता है और मौत गले लगाने में परहेज नहीं करता है। 

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