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| सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) |
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग मामले पर कहा कि अनिश्चितकाल के लिए सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन की अनुमति नहीं। विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक स्थानों को अवरूद्ध करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट का यह फैसला दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों द्वारा सीएए का विरोध करने के दौरान सड़क यातायात को बाधित करने को लेकर आया है। सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क पर ही धरना दिया जा रहा था, जिससे सड़क यातायात में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
साहनी ने अपनी याचिका में एनसीआर में अन्य शहरों के साथ दिल्ली को जोड़ने वाली सड़क के अवरुद्ध होने के कारण लाखों यात्रियों को होने वाली असुविधा को इंगित किया। इसमें कहा गया कि प्रशासन को सार्वजनिक स्थानों को अवरोधों से मुक्त रखना चाहिए और वे अदालत के आदेश के लिए इंतजार नहीं कर सकते और न ही प्रदर्शनकारियों के साथ अंतहीन वार्ता कर सकते हैं।
दिल्ली के शाहीन बाग में 14 दिसंबर से सीएए विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत हुई थी, जो लगभग तीन माह तक चला। सुप्रीम कोर्ट 17 फरवरी को वरिष्ठ वकील संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बातकर इस मुद्दे का समाधान निकालने का जिम्मा सौंपा। दोनों पक्षों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद भी निष्कर्ष नहीं निकल पाया। बाद में कोरोना के चलते लॉकडाउन लागू हुआ और 24 मार्च को प्रदर्शन बंद हो गया।

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