टीवी सीरियल्स में डायरेक्टर रह चुके रामवृक्ष आज यूपी के अपने पैतृक गांव आजमगढ़ में ठेले पर बेच रहे सब्जी


लखनऊः कहा गया जाही विधि राखे राम ताही विधि रहिए। यह बात टीवी सीरियल्स में डायरेक्टर रह चुके रामवृक्ष अच्छी तरह समझते हैं। ईश्वर पल भर में राई से पर्वत और पर्वत राई कर देता है। जिस तरह किसी भी जीवधारी का जन्म से बुढ़ापा तक शरीर का परिवर्तन होता रहता है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य का समय एक जैसा नहीं रहता है। दुखः और सुख साथ-साथ चलते रहते हैं। सुजाता जैसे कई टीवी सीरियल्स में डायरेक्टर रह चुके रामवृक्ष हमेशा फिल्मी सितारों और कलाकारों के बीच में रहने वाले आज अपने परिवारीजनों का भरण-पोषण करने के लिए यूपी के आजमगढ़ जिले में ठेले पर सब्जी बेच रहे हैं। सामान्य से दिखने वाले रामवृक्ष को देखकर  अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि इनके एक इशारे पर बड़े से बड़ा टीवी कलाकार नचता था। 


लॉकडाउन से फंसे गांव मेंः रामवृक्ष वैसे तो मुंबई में रहते हैं, लेकिन आजमगढ़ में उनका पुस्तौनी घर आज है। वह अपने बच्चे के साथ होली पर गांव में आए थे। रामवृक्ष वापस मुंबई जाते इसके पहले लॉकडाउन लग गया। एक दो माह इंतजार के बाद भी स्थिति सामन्य नहीं हुई तो मजबूरन रोजी-रोटी के लिए वह ग्यारहवीं में पढ़ने वाले अपने बेटे के साथ सब्जी की दुकान लगाकर परिवार का भरण-पोषण करने में लग गये। 


अठारह वर्षों से मुंबई में हैं स्थापित: मूल रूप से निजामाबाद के फरहाबाद निवासी चालीस वर्षीय रामवृक्ष के पिता सब्जी का ही व्यवसाय करते हैं। 2002 में अपने मित्र निजामाबाद के साहित्यकार शाहनवाज खान की मदद व प्रेरणा से रामवृक्ष मुंबई पहुंचे। पहले लाइट विभाग में काम किया। इसके बाद टीवी प्रोडक्शन में कई अन्य विभागों में भाग्य आजमाया। धीरे-धीरे अनुभव बढ़ने के साथ ही निर्देशन विभाग में अवसर मिला। फिर क्या था निर्देशन का काम रामवृक्ष को भा गया। पहले कई सीरियल के प्रोडक्शन में बतौर सहायक निर्देशक का काम मिलने लगा। इसके बाद कई धारावाहिकों में एपिसोड डायरेक्टर फिर यूनिट डायरेक्टर, यूनिट डायरेक्टर का काम करते हुए नित नई ऊंचाइयां तय करने लगे। इस बीच वहां एक कमरे का फ्लैट घर भी खरीद लिया। जीवन पटरी पर था लेकिन लॉकडाउन के कारण सबकुछ ठहर गया।   


इन सीरियलों के लिए किया काम: बालिका वधु के पचास से अधिक एपिसोड में बतौर यूनिट डायरेक्टर काम करने वाले रामवृक्ष इसके अलावा इस प्यार को क्या नाम दूं, कुछ तो लोग कहेंगे, हमार सौतन हमार सहेली, झटपट चटपट, सलाम जिंदगी, हमारी देवरानी, थोडी खुशी थोडा गम, पूरब पश्चिम, जूनियर जी जैसे धारावाहिकों के अलावा यशपाल शर्मा, मिलिंद गुणाजी, राजपाल यादव, रणदीप हुडा, सुनील शेट्टी की फिल्मों के निर्देशकों के साथ सहायक निर्देशन की भूमिका भी निभाई। आने वाले दिनों के लिए एक भोजपुरी व एक हिन्दी फिल्म का काम रामवृक्ष के पास है, वे कहते हैं कि अब इसी पर वह फोकस कर रहे हैं। 


डेढ़ लाख रुपये महीने तक हो जाती थी इनकम: रामवृक्ष गोंड, टीवी सीरियल डायरेक्टर कहते हैं टीवी उद्योग में काफी अनिश्चितता रहती है। हालाकि मेरा काम अच्छा चलता था। काम आता था तो प्रोडक्शन हाउस के हिसाब से साठ हजार से लेकर डेढ़ लाख प्रतिमाह कमा लेता था। अब तो सब्जी के काम में महीने में मुश्किल से बीस हजार कमाता हूं। ये काम मेरे लिए कोई नया नहीं है, मेरे परिवार में यही काम होता है। मैं मुंबई जाने से पहले यही करता था। काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता है। मैं खुश हूं। मुंबई में हालात सुधरेंगे तो फिर से वापस फिर से उसी दुनिया में लौट जाउंगा। 


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