कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में ओवैसी ने दिया बड़ा बयान

कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में ओवैसी ने दिया बड़ा बयान

लखनऊः अयोध्या मामला जब कोर्ट में पहुंच गया था। लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही राममंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन अयोध्या मामले को सुझलझाने के लिए इतना लंबा समय बीता गया कि श्रद्वालुओं को अधीर होना पड़ा यहां तक लोग नउम्मीद भी होते दिखाई दिए थे। रोजी-रोजगार चाहने वाले नवजवान यहां तक कहने लगे थे कि अब राजनेताओं के  पास विकास और बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करने का समय ही नहीं बचा है। कई बार इस बात की सहमति बनी की आपसी सुलह-समझौते सें इस समस्या का हल निकाल लिया जाए। 


अयोध्या मामला सुलझने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली कि अब मंदिर-मस्जिद के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने वालों से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन फूट डालों राज करो वाला फार्मूला लोगों को चैन से रोजी-रोटी कमाने नहीं देगा।  मथुरा के एक सिविल कोर्ट में कृष्ण जन्मभूमि को लेकर दोबारा याचिका दायर की गई है। इसमें एक-एक इंच जमीन वापस लेने की बात कही गई है। याचिका में कहा गया है कि ये भूमि भगवान कृष्ण के भक्तों और हिंदू समुदाय की लिए बहुत ही पवित्र है। ओवैसी ने ट्वीट किया,  शाही ईदगाह ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने इस विवाद का निपटारा साल 1968 में ही कर लिया था। इसे अब फिर से जीवित क्यों किया जा रहा है।


बता दें कि मथुरा के एक सिविल कोर्ट में कृष्ण जन्मभूमि को लेकर दोबारा याचिका दी गई है। इसमें एक-एक इंच जमीन वापस लेने की बात कही गई है। याचिका में कहा गया है कि ये भूमि भगवान कृष्ण के भक्तों और हिंदू समुदाय की लिए बहुत ही पवित्र है। इस सिविल सूट को वकील विष्णु जैन ने दाखिल किया है। याचिका में कृष्ण जन्मभूमि की पूरी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर दोबारा दावा किया गया है। वकील विष्णु जैन ने कहा है कि साल 1968 का समझौता गलत था और शाही ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म राजा कंस के कारागार में हुआ था। इस पूरे क्षेत्र को कटरा केशव देव के नाम से जाना जाता है। कृष्ण जन्मस्थान, मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की मैनेजमेंट कमेटी के द्वारा बनाई गई संरचना के ठीक नीचे हैं।


याचिका में कहा गया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासन काल में कई हिंदू मंदिरों को तबाह किया और उसमें मथुरा का कृष्ण मंदिर भी था जिसे ढहा दिया गया। सालों बाद यहां मंदिर के जो अंश थे उसी पर मस्जिद बना दी गई। याचिका में ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के कथित अतिक्रमण और अवैध तरीके से निर्माण की बात कही गई हैण् याचिका में कहा गया है कि ये मस्जिद सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की सहमति से यहां बनाई गई। 

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