पहली बार केंद्र के विरोध में एकजुट हुआ पंजाब, किसानों को पंजाबी भाषा के पहरेदारों का मिला समर्थन

कृषि से जुड़े तीन विधेयक पास होने से पूरे पंजाब में बवाल मचा


लखनऊः कृषि से जुड़े तीन विधेयक पास होने से पूरे पंजाब में बवाल मचा हुआ है। शुक्रवार को पंजाब भर में किसान सड़कों पर उतर आए। इन किसानों को पंजाबी साहित्यकारों से लेकर कलाकारों और पंजाबी भाषा के पहरेदारों का पूरा समर्थन मिला है। यह पहली बार है जब किसानों के साथ पूरा पंजाब एकजुट खड़ा दिख रहा है। एकजुटता की मुख्य वजह तो किसान ही हैं, लेकिन साथ ही जम्मू.कश्मीर में पंजाबी भाषा को खत्म करना, पानी पर हरियाणा के साथ विवाद और सिखों के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी भी है। इसी कारण कई धार्मिक और पंथक जत्थेबंदियों ने भी खुलकर किसानों का समर्थन किया है। केंद्र के वर्तमान भाषा बिल में पंजाबी को नजरअंदाज कर उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा को आगे लाया गया है। जम्मू-कश्मीर में बसे लाखों लोग पंजाबी बोलते हैं। नए भाषा बिल से पंजाबी बोलने वाले लाखों लोगों को ठेस पहुंची है। 


जम्मू-कश्मीर में पहले ही सिखों को अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया हुआ है। बिल को लागू कर सिखों के साथ एक और धक्का किया गया है। इसी कारण पंजाबी भाषा से जो प्यार करता है और अपनी मां बोली का पहरेदार है वह किसानों के साथ खड़ा है। सतनाम माणक व दीपक बाली का कहना है कि इतिहास में पहली बार है कि पंजाबी गायकी के सिरमौर कलाकार, बुद्धिजीवी, साहित्यकार पहली बार खुलकर मैदान में हैं। यह जंग अकेले किसानों की नहीं है, पंजाब को बचाने की भी है।

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