चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के समूह (ग) के कर्मचारियों में इसको लेकर आक्रोश पनप रहा है। कर्मचारियों का मानना है कि इससे अधिकारी हम लोगों का शोषण करेंगे, जिससे भ्रष्टाचार को बल मिलेगा। साथ ही अधिकारियों की चापलूसी करनी पड़ेगी। यदि कोई कर्मचारी ऐसा नहीं करेगा तो उसको अधिकारी अकर्मण्य कर्मचारी करार देकर सेवा से बाहर का रास्ता दिखा देंगे। यह महिला कर्मचारियों को और भी कठिन हो जाएगा। ऐसी समूह (ग) की महिला कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक शोषण होना लगभग तय है, जिससे समाज में नैनिकता समाप्त हो जाएगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के समूह (ग) के कर्मचारियों ने सरकार से मांग की है कि इस निर्णय को शीघ्र ही वापस ले।
यह कमेटी ऐसे कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करेगी जो अपने दायित्वों के प्रति ईमानदार नहीं होंगे और आचरण कदाचार या अन्य भ्रष्ट कार्यों में संलिप्त पाए जाएंगे। कमेटी ऐसे कर्मचारियों की सूची तैयार कर सरकार को भेजेगीए जिसके आधार पर सरकार ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करेगी या बाहर का रास्ता दिखाएगी। मंगलवार को सरकार ने इस बारे में कमेटी के गठन के आदेश जारी कर दिए गए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक ;प्रशासनद्ध डॉण् पूजा पांडे ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन करने का आदेश जारी किया है। अपर निदेशक प्रशासन की अध्यक्षता में गठित कमेटी में संयुक्त निदेशक (कार्मिक) संयुक्त निदेशक (मुख्यालय परिधिगत) एवं वरिष्ठ लेखा अधिकारी को सदस्य बनाया गया है।
सरकार के फैसले पर कर्मचारी संगठनों ने प्रदेशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद (तिवारी गुट) के महामंत्री आरके निगम ने इसे अव्यवहारिक एवं अमानवीय बताया है। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान कर्मचारियों का हौसला बढ़ाने के बजाय सरकार उन्हें हतोत्साहित करने का काम कर रही है। इस दौरान नौकरी देने की जगह छीनने की सरकार योजना बना रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं परिषद के एक अन्य गुट के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने सरकार की मति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार में जितने 50 साल से अधिक आयु के मंत्री व अफसर हैंए उनकी भी स्क्रूटनी होनी चाहिए। दोनों कर्मचारी नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रदेशव्यापी आन्दोलन की चेतावनी दी है।
आज सपा द्वारा उप्र के ज़िलों में ज्ञापन देकर शांतिपूर्ण तरीक़े से रोज़गार की माँग करनेवाले युवाओं पर सरकार ने लाठी उठाकर अच्छा नहीं किया. बेरोज़गारी के कारण निराश युवा के साथ ऐसा व्यवहार सरकार की असंवेदनशीलता दर्शाता है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 14, 2020
घोर निंदनीय! #NoMoreBJP pic.twitter.com/LyR4Xl7GSx

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