उन्नावः वर्षों से कोरो आश्वासन के सहारे पानी से होकर गुजरने को मजबूर ग्रामीणों ने सरकार का सहारा छोड़कर स्वयं की मेहनत और चंदे के सहारे 70 मीटर लंबा लकड़ी का पुल बना डाला। कभी नाव से आवागमन कर रहे क्षेत्र के दर्जन भर गांव के लोगों ने नई मिसाल कायम की। इन लोगों ने ग्रामीणों ने सांसद और विधायक का सहारा छोड़कर आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर चलकर प्रशासन को आइना दिखाया तो अफसर सफाई नहीं दे पा रहे हैं। तीन साल पहले गंगा नदी में आई बाढ़ से कटे कानपुर-कालीमिट्टी मार्ग की मरम्मत नहीं हो पाई।
लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता मन्नीलाल ने बताया कि 18 मीटर चौड़ा पुल बनाने के लिए शासन ने 1.25 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। साथ ही 13 किमी सड़क बनाने के लिए 90 लाख रुपये स्वीकृत हो गए हैं। बताया कि बारिश और गंगा नदी में बाढ़ के कारण काम शुरू नहीं हो पाया है। जल्द से जल्द काम शुरू कराया जाएगा।
फतेहपुर चौरासी व आसपास के गंगा कटरी क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लिए कानपुर-उन्नाव-लखनऊ के लिए सीधा संपर्क देने वाला कालीमिट्टी-शिवराजपुर मार्ग अगस्त वर्ष 2018 में आई बाढ़ में ग्राम हिंदूपुर के पास कट गया था। जिस कारण कानपुर, उन्नाव, हरदोई, लखनऊ सहित अन्य जिलों को इस कटरी क्षेत्र को जोड़ने वाले इस मार्ग पर आवागमन ठप हो गया। दो पहिया वाहन सवार व पैदल आवागमन करने वाले लोग पानी से होकर या नाव के सहारे आवागमन कर रहे थे। कई बार मांग के बाद सड़क नहीं बन पाई।
किसानों को अपने खेतों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा था साथ ही अपनी सब्जी व अनाज की उपज को कानपुर शिवराजपुर मंडी में बेचने के लिए बांगरमऊ के रास्ते करीब पचास किमी लंबा चक्कर लगाने को मजबूर थे। कटरी क्षेत्र के दबौली, अर्जुनपुर, हिंदूपुर, कटरी तोरणा, इस्माइलपुर नौगवां, गड़ाई, अवस्थिन खेड़ा, भूलभुलिया खेड़ा आदि गांवों के लोगों ने आपस में चंदा करके बांस, बल्लियों और पटरे लगाकर 2.5 मीटर चौड़ा और 70 मीटर लंबा पुल बनाकर अपने व गैर जनपदों से आने-जाने वाले दो पहिया वाहन सवार लोगों के लिए भी आवागमन का रास्ता मुहैया कराया।
गड़ाई के पूर्व प्रधान लक्ष्मीनारायण, दबौली निवासी कुलदीप मोहन पांडेय, रामकृष्ण पांडेय, तोरणा निवासी विनोद कुमार शुक्ला, नीरज पांडेय आदि ने बताया कि मार्ग कटा होने से आवागमन संभव नहीं हो पा रहा था। इससे परेशान होकर कई गांवों के लोगों ने एकजुट होकर इस असंभव से काम को संभव बना डाला। ग्राम हिंदूपुर के हरिगोविंद, राजेंद्र, संदीप व संतोष कुमार आदि ने सहयोग किया। दस दिन में 70 मीटर लंबा और ढाई मीटर चौड़ा पुल बना दिया।

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