गौशालाओं के निर्माण न होने से किसानों के साथ ही बड़े-बुजुर्ग को जानमाल का खतरा बना रहता है

गौशालाओं के निर्माण न होने से किसानों के साथ ही बड़े-बुजुर्ग को जानमाल का खतरा बना रहता है

उन्नावः प्रदेश भर में आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर गौशालाओं का निर्माण किया गया। इसके बाद भी कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां आज तक आवारा पशुओं को रखने के लिए गौशालाओं का निर्माण नहीं हो पाया है। गौशाला के अभाव में घुमंतू पशु फसल को बर्बाद कर रहे हैं। साथ ही मनुष्यों पर करने से बाज नहीं आते हैं। गंजमुरादाबाद नगर के अलावा ग्रामीण इलाकों में प्रस्तावित गोशालाओं के निर्माण की कवायद ठंडे बस्ते में चली गई है। अधिकारी जहां बजट का अभाव का रोना रो रहे हैं। वहीं गांवों में छुट्टा मवेशियों की धमाचौकड़ी से किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।


गौशालाओं के निर्माण न होने से किसानों के साथ ही बड़े-बुजुर्ग को जानमाल का खतरा बना रहता है

नगर में एक कान्हा गोशाला का निर्माण होने के लिए ग्राम फतेहपुर खालसा में उच्च प्राथमिक विद्यालय के निकट जगह का चिह्नांकन कर उसका समतलीकरण किया जा चुका है। विकासखंड के ग्राम रसूलपुर रूरी में एक वर्ष पूर्व फसलों के भारी नुकसान से आजिज आकर किसानों ने सैकड़ों छुट्टा जानवरों को प्राथमिक विद्यालय में बंद कर विरोध जताया था। जिसका निराकरण करते हुए मौके पर पहुंचे तत्कालीन उपजिलाधिकारी अनिल कुमार ने एक सप्ताह के अंदर गोशाला का निर्माण कराने के आदेश खंड विकास अधिकारी को दिए थे। दूसरे दिन लेखपाल आदि ने इस गोशाला के लिए जगह चिह्नित कर ली थी, लेकिन आज तक उसमें कार्य की प्रगति नहीं हो सकी है।


गौशालाओं के निर्माण न होने से किसानों के साथ ही बड़े-बुजुर्ग को जानमाल का खतरा बना रहता है

क्षेत्र के ग्राम कुशराजपुर में भी एक साल पहले किसानों को छुट्टा मवेशियों से मुक्ति दिलाने के लिए एक गोशाला का निर्माण सुनिश्चित कर जगह चयनित की गई थी। अभी तक वहां गोशाला का निर्माण तो दूर उसकी चहारदीवारी तक नहीं बन सकी है। जबकि संबंधित ग्राम के ग्राम प्रधानों व किसानों द्वारा कई बार गोशाला का निर्माण कराकर छुट्टा जानवरों पर अंकुश लगाने की मांग की गई, लेकिन उनकी समस्याएं कम नही हुई हैं। सहायक विकास अधिकारी पंचायत धर्मदास ने बताया कि इस समय गांवों में बनने वाले सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवनों के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा बजट के अभाव में भी गोशालाओं का निर्माण अधर में लटका हुआ है।


 लोगों का कहना है कि जहां गोशालाओं का निर्माण हो चुका है अधिकांश में पशुओं को रखने के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कहीं चाहार दीवारी नहीं है तो कहीं छाया का अभाव है। पशुओं के चारे और पानी की व्यवस्था भी संतोषजनक नहीं है।

Post a Comment

please do not comment spam and link

और नया पुराने