कृषि विधेयक के विरोध में भारत बंद का दिखा मिला-जुला असर


लखनऊः केंद्र सरकार के हाल ही में लाए गए तीन विधेयकों का किसान बड़े पैमाने पर विरोध कर रहे हैं। सरकार इन विधेयकों को किसान हितैषी बता रही है, जबकि किसानों का कहना है कि ये विधेयक कार्पोरेट के हाथों में कृषि क्षेत्र देने के लिए लाए गए हैं और इनसे किसानों का नुकसान होगा। किसानों को आशंका है कि उन्हें अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल सकेगा। किसानों की मांग है कि एमएसपी को क़ानून में जगह दी जाए और एमएसपी से कम दाम पर ख़रीद को अपराध बनाया जाए।



मन चंचल होता है। मन अस्थिर होता है। मन तो अबोध बच्चे के समान कार्य करता है। यदि मन पर समाज और संविधान का भय न हो तो हर वह काम करे जो समाज विरोधी हो। मन मर्यादाओं को लांघ जाता है। किसानों का मानना है कि हम लोग गरीब हैं, भूखें हैं लेकिन लाचार नहीं। हमारी मजबूरी का फायदा उठाकर सरकार मनमानी करना चाहती है। किसानों के खिलाफ काले कानून बनाकर शोषण करने का इरादा रखती है। मन की बात करने वाली सरकार किसानों की गाढ़ी कमाई का फायदा पूजीपति को देना चाहती है। किसानों ने कहा कि सरकार की मनमानी नहीं चलने देंगे। इस नए बिल का पूरे देश के किसान पुरजोर तरीके से विरोध कर रहे हैं। लगभग देश के प्रत्येक जिलों में किसान सड़क, रेल मार्ग जामकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक कि रेलवे विभाग को अपनी कई टेªनों को रद करना पड़ा और कई के मार्ग में बदलाव किया है। किसानों का यह भी कहना है कि अब लड़ाई आर-पार की होगी। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते सरकार ने भी तैयारी की है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो। महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने इस बिल को लागू करने से मना कर दिया है।




पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने शुक्रवार को कहा कि संसद में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।


बिहार में सीपीआई, सीपीएम व राजद कार्यकर्ताओं ने केंद्र की मोदी सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए बिल का विरोध जताते हुए उसे वापस लेने की मांग किया। वहीं पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि संसद में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि बिल के खिलाफ 350 से ज्यादा किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि जिले, गांव और हाईवे पर चक्काजाम किया जाएगा। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बंद का समर्थन किया है। ‘भारत बंद’ का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है।



सपाइयों ने जोदार प्रदर्शन निकाला जुलूसः समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। पार्टी के जिलाध्यक्ष की अध्यक्षता में में पैदल जुलूस निकालते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान व श्रम विधयेक को वापस लेने की मांग किया। प्रदर्शन करते हुए कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौपा।  

 

भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने भी शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को दिया। जिलाध्यक्ष बृजभान बौद्ध ने कहा कि केंद्र व प्रदेश की सरकार के कदम आम लोगों के हित में नहीं हैं। कृषि विधेयक किसानों के खिलाफ हैए तो श्रम विधेयक का भी फायदा कार्पोरेट घरानों को ही होगा। सरकारी क्षेत्रों में निजीकरण भी युवाओं पर कड़ा कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि भीम आर्मी इसे कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगी। यदि सरकार अपने निर्णयों को को वापस नहीं लेती है तो हम सभी वृहद आंदोलन करेंगे। 


कृषि विधेयक के विरोध में शुक्रवार भारत बंद का संतकबीरनगर में असर नहीं दिखा। साप्ताहिक बंदी होने के बावजूद शहर की सभी दुकानें कहीं बंद तो कहीं खुली रहीं। किसान संगठन और विपक्ष सपा, कांग्रेस, भाकियू और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाल प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। भाकियू कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट के सामने सड़क जाम किया। प्रशासन ने आंदोलन से निपटने के लिए पहले से पूरी तैयारी की थी। कलेक्ट्रेट पर कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। डीएम, एसपी ने खुद पूरे शहर का भ्रमण कर स्थिति की जानकारी ली।



भारतीय किसान यूनियन के अम्बावता गुट के किसानों ने भी कृषि विधेयक के विरोध में प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। जिलाध्यक्ष मनोज मिश्र के नेतृत्व में पहुंचे किसानों ने कहा कि भारत सरकार का यह कदम ठीक नहीं है। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी। सरकार इस बिल को तत्काल
वापस ले अन्यथा किसान सड़कों पर उतरकर वृहद आंदोलन करेंगे। इस दौरान धीरज मिश्रए चंद्र पांडेय
आदि मौजूद रहे।



कृषि विधेयक के विरोध में भारत बंद का दिखा मिला-जुला असर। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कि सरकार एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रति प्रतिबद्ध है लेकिन ये कभी भी क़ानून का हिस्सा नहीं रहा है विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए तोमर ने कहा कि जब वो सत्ता में थे तब उन्होंने इस पर क़ानून क्यों नहीं बनाया। उन्होंने कहा, 'मैं विपक्ष के लोगों से कहना चाहूंगा कि आप सब सालों तक सरकार में रहे हैं। अगर एमएसपी के लिए क़ानून ज़रूरी था तो आपने ये क़ानून क्यों नहीं बनाया. एमएसपी क़ानून का अंग पहले भी नहीं था और एमएसपी क़ानून का अंग आज भी नहीं है.' उन्होंने संकेत दिया कि सरकार एमएसपी पर विपक्ष की मांग नहीं मांगेगी



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