पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने शुक्रवार को कहा कि संसद में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।
बिहार में सीपीआई, सीपीएम व राजद कार्यकर्ताओं ने केंद्र की मोदी सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए बिल का विरोध जताते हुए उसे वापस लेने की मांग किया। वहीं पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि संसद में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि बिल के खिलाफ 350 से ज्यादा किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि जिले, गांव और हाईवे पर चक्काजाम किया जाएगा। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बंद का समर्थन किया है। ‘भारत बंद’ का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है।
सपाइयों ने जोदार प्रदर्शन निकाला जुलूसः समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। पार्टी के जिलाध्यक्ष की अध्यक्षता में में पैदल जुलूस निकालते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान व श्रम विधयेक को वापस लेने की मांग किया। प्रदर्शन करते हुए कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौपा।
कृषि विधेयक के विरोध में शुक्रवार भारत बंद का संतकबीरनगर में असर नहीं दिखा। साप्ताहिक बंदी होने के बावजूद शहर की सभी दुकानें कहीं बंद तो कहीं खुली रहीं। किसान संगठन और विपक्ष सपा, कांग्रेस, भाकियू और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाल प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। भाकियू कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट के सामने सड़क जाम किया। प्रशासन ने आंदोलन से निपटने के लिए पहले से पूरी तैयारी की थी। कलेक्ट्रेट पर कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। डीएम, एसपी ने खुद पूरे शहर का भ्रमण कर स्थिति की जानकारी ली।
भारतीय किसान यूनियन के अम्बावता गुट के किसानों ने भी कृषि विधेयक के विरोध में प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। जिलाध्यक्ष मनोज मिश्र के नेतृत्व में पहुंचे किसानों ने कहा कि भारत सरकार का यह कदम ठीक नहीं है। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी। सरकार इस बिल को तत्काल
वापस ले अन्यथा किसान सड़कों पर उतरकर वृहद आंदोलन करेंगे। इस दौरान धीरज मिश्रए चंद्र पांडेय
आदि मौजूद रहे।
कृषि विधेयक के विरोध में भारत बंद का दिखा मिला-जुला असर। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कि सरकार एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रति प्रतिबद्ध है लेकिन ये कभी भी क़ानून का हिस्सा नहीं रहा है। विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए तोमर ने कहा कि जब वो सत्ता में थे तब उन्होंने इस पर क़ानून क्यों नहीं बनाया। उन्होंने कहा, 'मैं विपक्ष के लोगों से कहना चाहूंगा कि आप सब सालों तक सरकार में रहे हैं। अगर एमएसपी के लिए क़ानून ज़रूरी था तो आपने ये क़ानून क्यों नहीं बनाया. एमएसपी क़ानून का अंग पहले भी नहीं था और एमएसपी क़ानून का अंग आज भी नहीं है.' उन्होंने संकेत दिया कि सरकार एमएसपी पर विपक्ष की मांग नहीं मांगेगी।
आज गाज़ीपुर में वर्चुअल माध्यम से ‘सपा की किसान चौपाल’ में किसानों ने बताया कि भाजपा सरकार में न ख़ाद, न बिजली और न ही फ़सल का एमएसपी वाला निश्चित दाम मिल रहा है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 25, 2020
एक फ़ौजी के किसान पिता ने तो ये तक कहा कि हमने देश के लिए अपना बच्चा दिया पर सरकार हमें सही दाम भी नहीं दे रही है. pic.twitter.com/nruVQhduc7
किसानों को कानूनों में उलझाकर रखा गया, जिसके कारण अपनी उपज, अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकते थे।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) September 25, 2020
नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी नहीं बढ़ी, लेकिन उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया।
भाजपा के नेतृत्व में NDA सरकार ने निरंतर इस स्थिति को बदलने का काम किया है। pic.twitter.com/DD4Uod7Ikh








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