लखनऊः देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। वह 84 साल के थे। प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति थे। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी।
भारतीय राजनीति में छह दशकों का लंबा समय बिताने वाले प्रणब दा ने राजधानी दिल्ली के सैन्य अस्पताल में अंतिम सांसें लीं। वे देश की सबसे कद्दावर राजनीतिक हस्तियों में से एक थे। देश में 7 दिन का राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। बांग्लादेश ने भी प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक जताया है।
पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में बांग्लादेश ने राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया और बुधवार को बांग्लादेश के सभी सरकारी ऑफिसों पर लगे झंडे आधे झुके रहेंगे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देशभर के कई नेताओं ने गहरा शोक जताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी तस्वीरें ट्वीट कर उनको श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने उनसे मिली सलाहों को यादगार बताया।प्रधानमंत्री ने एक के बाद किए अपने कई ट्वीट में कहा, भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा भारत शोकाकुल है। उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वह एक उत्कृष्ट विद्वान और राजनीतिज्ञ थे। समाज के सभी वर्गों और राजनीतिक वर्ग में उनकी प्रशंसा होती थी।
1963 में प्रणब मुखर्जी के करियर की शुरुआत कोलकाता में डिप्टी अकाउंटेंट-जनरल (पोस्ट और टेलीग्राफ) के कार्यालय में एक अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में हुई। इसके बाद उन्होंने अपने ही कॉलेज विद्यानगर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया। राजनीति में प्रवेश करने से पहले देशर डाक (मातृभूमि की पुकार) मैगजीन में एक पत्रकार के रूप में भी काम किया। बाद में 1969 में वे राजनीति में आए और राष्ट्रपति पद तक पहुंचे।
मुखर्जी का विवाह रवींद्र संगीत की निष्णात गायिका और कलाकार शुभ्रा मुखर्जी से हुआ था। शुभ्रा मुखर्जी का 18 अगस्त 2015 को निधन हो गया था।
उनके दो पुत्र अभिजीत मुखर्जी, इंद्रजीत मुखर्जी और एक पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी हैं। अभिजीत मुखर्जी दो बार के लोकसभा सांसद रहे हैं जबकि शर्मिष्ठा कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गृहजिले बीरभूम में ही की। बाद में वे कोलकाता चले गए और वहां से उन्होंने राजनीति शास्त्र और इतिहास विषय में एम.ए. किया। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री भी हासिल की।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'दशकों के अपने राजनीतिक जीवन के दौरान, प्रणब मुखर्जी ने प्रमुख आर्थिक और रणनीतिक मंत्रालयों में लंबे तक अपना योगदान दिया। वह एक नायाब सांसद थे। हमेशा अच्छी तरह से तैयार, बेहद मुखर और साथ ही विनोदप्रिय भी.'
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रणब मुखर्जी को जनता का राष्ट्रपति करार दिया. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, 'भारत के राष्ट्रपति के रूप में, प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन को आम नागरिकों के लिए और भी सुलभ बनाया. प्रणब ने राष्ट्रपति आवास को सीखने, नवाचार, संस्कृति, विज्ञान और साहित्य का केंद्र बनाया. प्रमुख नीतिगत मामलों पर उनकी बुद्धिमान सलाह मेरे द्वारा कभी भुलाई नहीं जाएगी.'
सत्तर के दशक में सियासत में कदम रखने वाले प्रणब मुखर्जी केंद्र में वित्त, रक्षा, विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालने के बाद जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। उनके लंबे राजनीतिक करियर में 2 बार ऐसा दौर भी आया जब वो प्रधानमंत्री बनने के दावेदार थे लेकिन चूक गए। मोदी सरकार ने देश के लिए उनके योगदान को सम्मान देते हुए उन्हें भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया।
प्रणब दा कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। इसके बावजूद मोदी सरकार द्वारा उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए चुना जाना उनकी शख्सियत और कद पार्टी या विचारधारा से कितना ऊपर था। प्रणब मुखर्जी ने 1969 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उंगली पकड़कर राजनीति में प्रवेश ली थी। वे कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के लिए चुने गए।
1973 में वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए और उन्हें औद्योगिक विकास विभाग में उपमंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद वह 1975, 1981, 1993, 1999 में फिर राज्यसभा के लिए चुने गए। उनकी आत्मकथा में स्पष्ट है कि वो इंदिरा गांधी के बेहद करीबी थे और जब आपातकाल के बाद कांग्रेस की हार हुई तब इंदिरा गांधी के सबसे विश्वस्त सहयोगी बनकर उभरे थे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह 9 बजे दिल्ली के 10 राजाजी मार्ग में श्रद्धांजलि देने के लिए रखा जाएगा। सुबह सवा 9 बजे से गणमान्य व्यक्तियों द्वारा श्रद्धांजलि दी जाएगी। फिर 11 बजे से 12 बजे के बीच आम जनता अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकेंगे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार उनके पैतृक राज्य पश्चिम बंगाल के बजाए राजधानी दिल्ली में ही होगा। पूर्व राष्ट्रपति का लोधी श्मशान घाट पर दोपहर 2.30 बजे दाह संस्कार किया जाएगा।India grieves the passing away of Bharat Ratna Shri Pranab Mukherjee. He has left an indelible mark on the development trajectory of our nation. A scholar par excellence, a towering statesman, he was admired across the political spectrum and by all sections of society. pic.twitter.com/gz6rwQbxi6
— Narendra Modi (@narendramodi) August 31, 2020
With great sadness, the nation receives the news of the unfortunate demise of our former President Shri Pranab Mukherjee.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2020
I join the country in paying homage to him.
My deepest condolences to the bereaved family and friends. pic.twitter.com/zyouvsmb3V
महान व्यक्तित्व एवं कृतित्वके धनी भारत के पूर्व राष्ट्रपति, "भारतरत्न" सम्मानित मान.श्री प्रणव मुखर्जी के निधन पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि ।#ripPranabMukherjee #PranabMukherjee #pranabda #PranabMukherje pic.twitter.com/DnASu52gNK
— Anandiben Patel (@anandibenpatel) August 31, 2020
पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी जी का निधन राष्ट्र की अपूरणीय क्षति है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 31, 2020
वह सार्वजनिक जीवन में शुचिता, पारदर्शिता एवं स्पष्टवादिता की प्रतिमूर्ति थे।
परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने परमधाम में स्थान दें।
ॐ शांति!
भूतपूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी जी को भावभीनी श्रद्धांजली!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 31, 2020
भारत की राजनीति ने आज एक सच्चा रत्न खोया है. pic.twitter.com/GteEeQykf4
देश की जानीमानी राजनीतिक हस्तियों में एक पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के इलाज के दौरान आज निधन की खबर अति-दुःखद। उनके शोकसंतप्त परिवार व समर्थकों के प्रति गहरी संवेदना। सौम्य व सभ्य स्वभाव के श्री मुखर्जी के लम्बे राजनीतिक जीवन व देशसेवा समर्पन को हमेशा याद किया जाता रहेगा
— Mayawati (@Mayawati) August 31, 2020
India grieves the passing away of Bharat Ratna Shri Pranab Mukherjee. He has left an indelible mark on the development trajectory of our nation. A scholar par excellence, a towering statesman, he was admired across the political spectrum and by all sections of society. 😔 pic.twitter.com/6xOMI8U3ft
— Ranjeet Kumar (@Ranjeet52531298) September 1, 2020















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