पिछले बिहार चुनाव में सात सीटें ऐसी थी जहां 2015 के विस चुनाव में मुकाबला काफी रोचक था। इस बार भी इन सीटों पर निगाह रहेगी। उम्मीदवारों में इस बार बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके बावजूद एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
बिहार फिर चुनाव के लिए तैयार है। 2020 की चुनावी रणभेरी बजने ही वाली है। कोरोना महामारी के बीच चुनाव की तैयारी है। वोटिंग के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के लिए चुनाव आयोग ने नियम भी तय कर दिए हैं। राजनीतिक दलों और गठबंधनों की रणनीति खुलकर सामने आने लगी है। नेताओं के बीच दलबदल भी तेज हो गया है। 243 सीटों के लिए तमाम दल जोरआजमाइश की तैयारी में चुटे हैं और सबकी कोशिश है कि वोटों रेस जीतने की।
हम उन विधानसभा सीटों की चर्चा करेंगे जहां पिछली बार जीतते-जीतते हार गया था तो किसी को हार के डर के बीच जीत नसीब हो गई थी। पिछले चुनाव में 7 विधानसभा सीटों पर जहां वोटों का अंतर 1000 से भी कम रहा था। इन सीटों पर किसने आखिरी दौर में विजय पताका फहराया था और किन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी इन सीटों पर खास तौर से सभी दलों की निगाह रहेगी।
1. चनपटिया सीट पर हार.जीत का अंतर सिर्फ 464 वोट से रहा था। यहां बीजेपी के प्रकाश राय ने जेडीयू के एनएन शाही को हराया था। बीजेपी उम्मीदवार को 61304 वोट मिले थे, जबकि जेडीयू उम्मीदवार को 60840 वोट।
2. शिवहर सीट पर जेडीयू के सैफुद्दीन ने 461 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्हें 44576 वोट हासिल हुए थे, जबकि जीतनराम मांझी की पार्टी हम की लवली आनंद को 44115 वोट।
3. झंझारपुर सीट से आरजेडी के गुलाब यादव ने 834 वोटों से जीत का परचम फहराया था। उन्हें 64320 वोट मिले, दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के नीतीश मिश्रा जिन्हें 63486 वोट मिले थे।
4.बनमखनी विधानसभा सीट पर बीजेपी के कृष्ण कुमार ऋषि को 708 वोटों से जीत मिली थी। उन्हें 59053 वोट हासिल हुए जबकि आरजेडी के संजीव कुमार पासवान को 58345 वोट।
5. बरौली विधानसभा सीट पर तो हार.जीत का अंतर सिर्फ 504 रहा था। यहां आरजेडी के मोहम्मद नेमतुल्लाह को 61690 वोट तो दूसरे नंबर पर रहे। बीजेपी के रामप्रवेश राय को 61186 वोट।
6. आरा सीट से मोहम्मद नवाज आलम को 666 वोटों से जीत हासिल हुई। आरजेडी के मोहम्मद नवाज आलम को 70004 वोट मिले, वहीं बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप सिंह को 69338 मत हासिल हुए।
7. चैनपुर विधानसभा सीट पर 671 वोटों ने उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया। इस सीट पर बीजेपी के ब्रिजकिशोर बिंद ने बसपा के मोहम्मद जमा खान को शिकस्त दी। ब्रिजकिशोर बिंद को 58913 वोट मिले, मोहम्मद जमा खान को 58242 वोट।
इन सभी सीटों पर 2015 के विधानसभा चुनाव में काफी कड़ा मुकाबला रहा था। इस बार भी इन विधानसभा
सीटों पर निगाह रहेगी। उम्मीदवारों में काफी बदलाव देखने को मिल सकता है। क्योंकि इस बार आरजेडी-जेडीयू साथ नहीं बल्कि अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं जो कि पिछले चुनाव में साथ थे। इस बार बिहार चुनाव में जेडीयू-बीजेपी के साथ है। जेडीयू के अलावा जीतनराम मांझी की हम भी महागठबंधन से अलग हो चुकी है और जेडीयू के पाले में दिख रही है। एलजेपी तो एनडीए के साथ है। जबकि महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस समेत कई दल शामिल हैं।
पूरे बिहार में कैसा रहा था पिछले चुनाव का नतीजा: 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ;आरजेडी.जेडीयू.कांग्रेसद्ध बनाम बीजेपी.एलजेपी मुकाबला हुआ थाण् विधानसभा की कुल 243 सीटों में से महागठबंधन के दलों को 178 सीटें हासिल हुई थींण् त्श्रक् को 80ए जेडीयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थीण् जबकि बीजेपी को सिर्फ 53 सीटें मिली थींण् वहीं सहयोगी एलजेपी को 2 सीट।
कहते हैं कि सियासत में कुछ भी स्थायी नहीं होता तो इस बार भी सभी दलों को अपने-अपने एजेंडे और रणनीति से फिर चमत्कार की उम्मीद है। चुनाव सामने है और वोटर भी तैयार हैं। तो देखते हैं बिहार इस बार सियासत की कौन सी इबारत लिखता है। 7 सीटों पर हार-जीत का अंतर एक हजार से कमबिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं 2015 से काफी अलग है इस बार का बिहार चुनाव।







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