सपा सरकार के दौरान सहकारिता विभाग में कर्मचारियों के वेतनवृद्धि और स्थायीकरण पर रोक लगा दी गई है। संबंधित संस्थाओं के प्रबंध निवशकों की तरफ से अलग-अलग तारीखों में यह रोक लगाई गई है।
सहकारी ग्राम विकास बैंक में 13 जुलाई को आदेश जारी कर 2015 और 16 बैच के कर्मचारियों की वेतनवृद्धि और स्थायीकरण पर रोक लगा दी गई है। सपा सरकार में सहकारी संस्थागत सेवा मंडल की ओर से वर्ष 2012 से 2017 के बीच में जिला सहकारी बैंक को सहकारी ग्राम विकास बैंक और पीसी एप सहित संस्थाओं में की गई भर्तियों की एसआईटी जांच अभी चल रही है। इस समय के भर्ती कर्मचारियों की वेतनवृद्धि व स्थाई करने पर रोक लगाई गई है।
सहकारी ग्राम विकास बैंक, कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री मोहम्मद आसिफ जमाल ने सहकारी ग्राम विकास बैंक के प्रबंध निदेशक, कोऑपरेटिव बैंक स्टाफ एसोसिएशन के महामंत्री विजय सक्सेना ने अपर मुख्य सचिव सहकारिता को पत्र लिखा है तथा नियमों के विपरीत बताया है। उन्होंने कहा की असंतुष्ट होने पर कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि 1 वर्ष बढ़ाई जा सकती है पर वार्षिक वेतनवृद्धि और स्थायीकरण पर रोक नहीं लगाई जा सकती। उन्होंने आदेश को वापस लेने की मांग की है। दोनों संगठनों ने तर्क दिया है कि वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाना सहकारी सेवा नियमावली 1975 के नियम 84 (१)बी के अंतर्गत बृहद दंड है। अभी जांच पूरी नहीं हुई है और यह भी नहीं तय हुआ कि किसकी नियुक्ति गलत तरीके से की गई है। इस तरह का दंड अनुचित था प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है।दोनों संगठनों ने दावा किया कि वेतन वृद्धि और स्थायीकरण पर रोक लगाने का आदेश प्रबंध निदेशकों की तरफ से दिया जा रहा है सरकार ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है।

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