लखनऊः स्मार्ट मीटर उपभोक्ता के खाते में बैलेंस के बावजूद बिजली बंद होने के मामले में राज्य विद्युत नियामक आयोग ने भी सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने पावर कारपोरेशन और बिजली कंपनियों से पूछा कि बिजली गुल होने का जिम्मेदार कौन है।
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आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पावर कारपोरेशन के नियंत्रण वाली सभी बिजली कंपनियों को नोटिस जारी कर इसे प्रथम दृष्टया इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005 का उल्लंघन माना है। आयोग ने इस पूरी घटना से ग्रिड की स्थिरता और सुरक्षा को खतरा पैदा होने की आशंका जताते हुए कारपोरेशन और कंपनियों के प्रबंध निदेशकको से विस्तार से रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने पूछा कि इस घटना में कितने उपभोक्ता प्रभावित हुए और आपूर्ति बहाल होने से कितना समय लगा है। इसके साथ ही इस भारी चूक के लिए जिम्मेदार व्यक्ति और संस्थाओं की क्या जिम्मेदारी तय की गई है। आयोग ने कहा कि क्यों न इस मामले में जुर्माना लगाने की कार्रवाई की जाए। इससे पहले आयोग ने कारपोरेशन की स्मार्ट मीटर योजना की स्वीकृत पर विचार करते समय मीटर रीडिंग के बैकअप और संचार विफलता की आशंका जताते हुए सवाल उठाए थे। उस समय आयोग ने उपभोक्ता सूचना के सुरक्षा एवं गोपनीयता के भी निर्देश दिए थे।
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मामले में जांच व पुनरावृति रोकने का सुझाव देने को समितिः पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की बिजली गुल होने तथा आगे इसकी पुनरावृति रोकने के लिए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी की अध्यक्षता में 4 सदस्य समिति बनाई है। इसमें कारपोरेशन के निदेशक (वाणिज्य) एके श्रीवास्तव, निदेशक आईआईटी कानपुर की ओर से नामित विशेषज्ञ तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम आगरा के मुख्य अभियंता एके चौधरी को शामिल किया गया है।
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