अदालत की अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया

अदालत की अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया


प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायधीश और चार अन्य पूर्व मुख्य न्यायधीशों को लेकर ट्वीट किए थे। इसी मामले में यह फ़ैसला आया हैं। कोर्ट 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुनवाई करेगा। जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की इस बेंच ने कहा कि यह अवमानना का गंभीर मामला है। इस बेंच में जस्टिस अरुण मिश्र के अलावा जस्टिस बीआर गावी और जस्टिस कृष्णा मुरारी थे। हालांकि यह फ़ैसला वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए सुनाया गया। कंटेम्ट ऑफ़ कोर्ट्स ऐक्ट, 1971 के तहत प्रशांत भूषण को छह माह तक की जेल की सज़ा जुर्माने के साथ या इसके बगैर भी हो सकती है। इसी क़ानून में ये भी प्रावधान है कि अभियुक्त के माफ़ी मांगने पर अदालत चाहे तो उसे माफ़ कर सकती हैं।


प्रशांत भूषण


इसी साल 22 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के दो विवादित ट्वीट्स पर ख़ुद से संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था। अदालत का कहना था कि शुरुआती तौर पर प्रशांत भूषण के इन ट्वीट्स से न्याय व्यवस्था का अपमान होता है। इसके जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा था कि विचारों की स्वतंत्रता अदालत की अवमानना नहीं हो सकती, लेकिन अब अदालत ने इसे अवमानना माना है और उन्हें दोषी करार दिया है।

कोर्ट ने कहा, पहली नज़र में हमारी राय ये है कि ट्विटर पर इन बयानों से न्यायपालिका की बदनामी हुई है और सुप्रीम कोर्ट और ख़ास तौर पर भारत के चीफ़ जस्टिस के ऑफ़िस के लिए जनता के मन में जो मान-सम्मान है। ये बयान उसे नुक़सान पहुँचा सकते हैं। चीफ़ जस्टिस बोबडे के मोटरसाइकिल पर बैठने को लेकर की गई टिप्पणी पर प्रशांत भूषण ने अपने हलफनामे में कहा कि पिछले तीन माह से भी ज़्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सुचारू रूप से न हो पाने के कारण वे व्यथित थे और उनकी टिप्पणी इसी बात को जाहिर कर रही थी।

उनका कहना था कि इसी वजह से हिरासत में बंद, ग़रीब और लाचार लोगों के मौलिक अधिकारों का ख्याल नहीं रखा जा रहा था और उनकी शिकायतों पर सुनवाई नहीं हो पा रही थी। लोकतंत्र की बर्बादी वाले बयान पर प्रशांत भूषण की ओर से ये दलील दी गई कि ष्विचारों की ऐसी अभिव्यक्ति स्पष्टवादीए अप्रिय और कड़वी हो सकती है लेकिन ये अदालत की अवमानना नहीं कहे जा सकते।

यहां क्लिक करें: सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ एक और अवमानना का मामला लंबित है, जिस पर 17 अगस्त को सुनवाई होनी है

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