सचमुच! देश व समाज हमें बहुत कुछ देता है। यदि हम उम्र भर उसकी सेवा करें तो भी कम है, लेकिन विडंबना यह है कि देशप्रेम, देशभक्ति या देशसेवा जैसे शब्द जेहन में आते ही सबसे पहले जो छवि सामने आती है वो है एक सैनिक की। जब भी देशसेवा का जिक्र होता है तो उसका सीधा सा अर्थ लोग सेना के जवान से ही लेते हैं। ये सही है कि सैनिक देश की सेवा करते हैं वे सीमा प्रहरी भी हैं। इस स्वतंत्रा दिवस पर हम भी देश की सेवा का संकल्प लेते हैं।
यह भी सही है कि हममें से हर एक नागरिक किसी न किसी रूप में, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से देश की सेवा कर सकता है, यदि वह चाहे तो। उदाहरण के लिए देश की उन्नति में सबसे बड़ी बाधक सुरसा के मुख की तरह फैलती जनसंख्या पर नियंत्रण करना भी देश की सबसे बड़ी सेवा होगी, जिसके बारे में हर राष्ट्र हितैषी सोच सकता है। इसके अलावा कई ऐसी बातें हैं जो देखने में छोटी-बड़ी नजर आती है लेकिन यदि हम ध्यान दें तो इन पर अमल कर वास्तव में देश की सेवा ही करेंगे।
पानी बचाएं, इससे प्राणी मात्र के साथ ही देश का भी हित होगा, पौधारोपण करें और वृक्ष न काटने से बचे। अपने वाहन का समुचित रखरखाव से रखें। इससे प्रदूषण नहीं होगा तो पर्यावरण ठीक रहेगा और इससे देश समृद्ध रहेगा। पॉलिथीन का प्रयोग न करें। यह भी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। आने वाली पीढ़ी को शिक्षित
और संस्कारवान बनाएं। अच्छे नागरिक ही देश को बेहतर बनाते हैं। सार्वजनिक स्थलों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी समझें।
सड़क पर यदि आपने गंदगी ढेर कर रखी है तो उसकी सफाई व रखरखाव पर खर्च सरकारी ही होना है, अर्थात देश का नुकसान होगा। नोट को सीधा पर्स में रखें, उसे तोड़-मरोड़ने से बचे। जितना आप करेंसी को सुरक्षित रखेंगे वह लंबे समय तक चलेगी तथा देश का फायदा होगा। सारे कर-टैक्स समय पर अदा करें, देश निश्चय ही समृद्ध होगा। जहां-जहां टिकट खरीदना अनिवार्य है। जैसे प्लेटफार्म वगैरह वहां अवश्य टिकट खरीदें। आप टिकट न खरीदकर 2 रुपए बचाने पर खुश होते हैं, लेकिन ऐसे कई 2-2 रुपए की हमारी बचत देश को घाटे में डालती है। चुनावों के समय मतदान अवश्य करें। ये आपका अधिकार ही नहीं, अपितु दायित्व भी है और हमेशा याद रखें कि दुर्जनों की सक्रियता से अधिक खतरनाक सज्जनों की निष्क्रियता होती है और ये देशहित में नहीं है। हम सक्षम हैं इसका अर्थ यह नहीं है कि बिजली का दुरुपयोग ही किया जाए।
जितनी आप बिजली बचाएंगे उतनी ही देश की प्रगति में सहायक होंगे। कभी भी बंद में शामिल न हों, न ही उसका समर्थन करें। हड़ताल दीमक तरह देश को भीतर से खोखला बना है। बंद व उसकी प्रतिक्रिया की हिंसा दोनों ही देश की करोड़ों की संपत्ति के नुकसान के लिए जवाबदार हैं। बंद को बंद करके भी देशसेवा की जा सकती है। रिश्वत न लें, न दें। आपके लिए चंद हजार रुपए अनमोल नैतिकता को नष्ट कर देते हैं। यह राष्ट्र चरित्र के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है। कोरोना काल में देश में लागू हर नियम का पालन करें। ताकि हम सभी के सहयोग से जल्द ही इस महामारी के प्रकोप से देश बाहर आ सकें। साम्प्रदायिक सोच से दूर रहें। इस देश के सैनिक और किसान का हमेशा सम्मान करें। केवल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय त्योहार मनाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री न समझ लें। जातिवाद को बढ़ावा न देकर राष्ट्रवाद को अपनाएं। हर दिन, हर छोटे-बड़े कार्य में देशहित का सोचें व उस पर अमल करें तो शायद बिना वर्दी के भी सच्ची देशभक्ति होगी।





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