Kajari Teej 2020 : कजरी तीज व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Kajari Teej 2020 : कजरी तीज व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और  पूजा विधि

लखनऊः हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। इस बार यह त्योहार गुरुवार, 6 अगस्त को मनाया जा रहा है। अलग-अलग जगहों पर इस व्रत को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे कजरी तीज, कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज आदि। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत के रूप में रखती हैं। कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और नीमड़ी माता की पूजा आराधना करती हैं। अपने पति और परिवार की सुख समृद्धि की मनोकामना के लिए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

कजरी तीज पूजा विधि
कजरी व्रत में सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर पूजा के लिए तैयार होती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है। महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है और माता पार्वती संग भगवान शिव की पूजा उपासना करती है। पूजा के भोग के लिए जौ,गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तैयार किया जाता है। भगवान की आरती और मंत्रोचारण कर शाम को कजरी तीज की कथा पढ़ी जाती है। इसके बाद शाम के समय चंद्रमा के निकलने का इंतजार करती हैं। चांद के दर्शन के बाद उन्हें अर्घ्य देती हैं।

सबसे पहले पूजा की शुरूआत नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे देने से करें। फिर अक्षत चढ़ाएं। अनामिका उंगली से नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली की 13 बिंदिया लगाएं। साथ ही  काजल की 13 बिंदी भी लगाएं, काजल की बिंदियां तर्जनी उंगली से लगाएं।  

नीमड़ी माता को मोली चढ़ाएं और उसके बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र भी अर्पित करें। फिर उसके बाद जो भी चीजें आपने माता को अर्पित की हैं, उसका प्रतिबिंब तालाब के दूध और जल में देखें। तत्पश्चात गहनों और साड़ी के पल्ले आदि का प्रतिबिंब भी देखें। पूजा संपन्न होने के बाद अपने से बड़े बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं।

कजरी तीज शुभ मुहूर्त( Kajari Teej Shubh Muhurat)
तृतीया तिथि का आरंभ- 5 अगस्त 2020, बुधवार,10 बजकर 50 मिनट से 7 अगस्त शुक्रवार रात  बजकर 14 मिनट तक

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