शासन या प्रशासन कोई एक तो लापरवाही कर ही रहा है! जब आम जनता के लिए मूलभूत सुविधाए दवा, पढ़ाई और सिंचाई की सुविधा देने में लापरवाही होती है तब शासन का यह नारा खोखला साबित होता है कि सबका साथ, सबका विकास, सबको न्याय इस पर तब प्रश्न चिन्ह लग जाता है, जब 11 साल की बच्चे को वेंटिलेटर ना मिलने के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा! पीड़ित विनोद का आरोप है कि गंभीर हालत होने के बावजूद भी लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने एडवांस लाइफ सपोर्ट के बजाय सामान्य एंबुलेंस से उसके बच्चे को भेजा इस कारण रास्ते में उसे झटके आने से आंख से खून आ गया! पीजीआई लोहिया संस्थान की लापरवाही से उनके बच्चे की जान गई है कहा कि अब इसकी शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से करेंगे!
प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार के विनोद कुमार ने अपने बेटे यशस्वी (11) को बुखार आने के साथ उसकी प्लेटलेट्स कम हो गई थी! गुरुवार को सुबह 9:00 बजे परिवारी जन उसको लेकर पीजीआई की ओपीडी में दिखाने पहुंचे तो यशस्वी अचानक गिर गया! घर वालों ने भर्ती करने के लिए काफी मिन्नतें की लेकिन पीजीआई के डॉक्टरो को दया नहीं आई! इसके बाद 11:00 बजे लोहिया संस्थान के इमरजेंसी में डॉक्टरों ने उसका सिटी स्कैन और जांचे की! जहां प्राथमिक इलाज तो मुहैया कराया गया लेकिन वेंटिलेटर खाली ना होने की बात कहकर 1:00 बजे ट्रामा सेंटर भेज दिया गया! हालांकि वहां तक पहुंचने से पहले ही लगभग 2:00 बजे बच्चे ने रास्ते में दम तोड़ दिया!
दूसरी तरफ आती गंभीर मरीजों को सुरक्षित तरीके से अस्पताल पहुंचाने के लिए जिले में 4 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस हैं लेकिन यह कोटा पूरा करने के लिए सामान्य मरीजों कको ही अस्पताल पहुंचा रही हैं! विगत साल इसे लेकर कंपनी के खिलाफ शिकायत भी हुई थी लेकिन अफसरों ने मामला दबा दिया!
लोहिया संस्थान के मीडिया प्रभारी डॉ एपी जैन ने बताया कि पीजीआई से जब मरीज आया तो प्लेटलेट्स कम थी उसका ब्रेन हेमरेज हुआ था हमने सिटी स्कैन और अन्य जांचे की स्थिति गंभीर होने से पीडियाट्रिक वेंटिलेटर के लिए ट्रामा सेंटर रेफर किया गया था बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस से मरीज को भेजा गया था इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई!
निरीक्षण के दौरान डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कबाड़ की तरह की दवाओं को देखकर पूछा कि यहां दबाएं कैसे ढूंढते हो तो इसका स्पष्ट जवाब अधिकारी कर्मचारी नहीं दे सके एक गत्ते में दवाओं के साथ इस्तेमाल किया हुआ मास्क पर उपमुख्यमंत्री नाराज हुए कहा कि आप क्या जान से खेल रहे हो प्लास्टिक का , एएप्रेन लिए रखा मिलने पर भी उन्होंने फटकार लगाई बदहाली पर कहा कि ऐसे दवाए रखते हैं ऐसे फेकोगे, देखो कितनी धूल है भगवान मालिक है यह दवाएं हैं तो खुली क्यों फेंकी गई हैं! गोदाम में कूल एंड ड्राई प्लेस में रखे जाने के निर्देश वाली दवाएं भी खुले में पड़ी थी डिप्टी सीएम ने पूछा कि ऐसा क्यों है इन्हें उचित तापमान में क्यों नहीं रखा गया क्या यह निर्देश सिर्फ जनता के लिए हैं
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