घटना उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के अजगैन थने से संबंधित है इसमें अपील करता के खिलाफ अन्य आरोपियों के साथ मिलकर हत्या और आग लगाने आदि के आरोप थे। अपील करता की तरफ से उसे इस मामले में गलत फसाने की दलील दी गई। उधर सरकारी वकील ने अपील का विरोध किया। कोर्ट ने अपील करता को हत्या के जुर्म में सुनाई गई उम्रकैद की सजा को संदेश से परे साबित ना किया जाना करार देकर समाप्त कर दिया। आगजनी आदि के आरोपों में उसकी दोष सिद्धि और सजा की पुष्टि की है।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की आज गंज थाने की एक घटना में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने हत्या के मामले में एक उम्र कैदी को 38 साल बाद बरी कर दिया। 1979 में हुई हत्या के मामले में उसे सत्र अदालत से आजीवन कारावास की सजा हुई थी। इसके खिलाफ उसने 1984 में हाई कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने अपील को आंशिक रूप से मंजूर कर उसे हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने यह फैसला एक मात्र जीवित अपील करता राजबहादुर सिंह की अपील पर सुनाया।
अपील में उन्नाव की सत्र अदालत से 19 जनवरी 1984 को उसे हत्या के जुर्म में सुनाई गई उम्रकैद की सजा के फैसले को चुनौती दी गई थी। मामले के अन्य सजायाफ्ता अपील करता हूं की मृत्यु के कारण उनकी अपीलों को समाप्त किया गया था।

एक टिप्पणी भेजें
please do not comment spam and link