कहावत है कि जैसा रोगी चाहे वैसा वैद्य बताएं। यह पब्लिक है सब जानती है। अंधा रेवड़ी बांटेगा तो अपने को ही देगा। कौशल विकास एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के कार्यक्रमों के चलते प्रदेश की बेरोजगारी दर अप्रैल में गिरकर 2.9 फीसद रह गई है। मार्च माह में यह दर 4.4 फीसद थी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी की मासिक रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में दिल्ली पंजाब राजस्थान पश्चिम बंगाल केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों के मुकाबले उत्तर प्रदेश बहुत आगे है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले 5 साल में युवाओं को 5 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां देने का रिकॉर्ड बनाया है।
जबकि दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि हम 15 करोड़ जनता को राशन मुहैया करा रहे हैं। इसका मतलब यह है कि हमारे उत्तर प्रदेश मैं 25 करोड़ जनता में से 15 करोड़ जनता अपने लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था नहीं कर पा रही है। दूसरी तरफ हंगर इंडेक्स में भारत देश 101 में स्थान पर है। आज स्थिति यह हो गई है कि बिजली घरों को पर्याप्त मात्रा में सरकार कोयला उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इसके चलते प्रदेश में शहर से लेकर गांव तक बिजली की अंधाधुंध कटौती हो रही है।
उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बिजली व्यवस्था की समीक्षा करते हुए सभी जिलों में तय रोस्टर के अनुसार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद मिल रही है। खदानों से बिजली घरों तक कोयला पहुंचाने के लिए रेल के साथ-साथ सड़क मार्ग से भी ढुलाई कराई जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजली बिल के समय से भुगतान के लिए उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए जरूरी है कि लोगों को समय पर सही बिल मिले। उन्होंने ओवरबिलिंग, फॉलबिलिंग अथवा विलंब से बिल दिए जाने पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी कहा कि बिजली बिल बकाए के भुगतान के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) लाई जाए।
जनता ने पिछले साल कोरोनावायरस की महामारी के समय अव्यवस्था के चलते जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा है वह तो जगजाहिर है। करोना कॉल में तीमारदारों ने अपने परिजन को बचाने के लिए 50 हजार रुपए में ऑक्सीजन गैस का सिलेंडर खरीदना पड़ा। इसके साथ ही जीवन रक्षक दवाओं व बेड, वेंटिलटर तक ठीक से व्यवस्था सरकार नहीं कर पाई। यह तो अच्छा ही हुआ था कि ओपीडी बंद थी इसका कारण ग्रामीण क्षेत्र के कोरोना से पीड़ित मरीज गांव के झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराते रहे। इसके चलते शहर शहर के अस्पतालों में अधिक भीड़ नहीं हो पाई। नहीं तो रोगी और तीमारदारों को सरकार पानी तक मुहैया नहीं करा पाती।
इतना ही नहीं हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शवो का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी की भी ठीक से व्यवस्था नहीं हो पाई थी। इसके चलते लोगों ने शवों को गंगा में बगैर अंतिम संस्कार किए फेंक दिया।
हम सब भारत देश के रहने वाले हैं। हम सब सनातन परंपरा और वसुदेव कुटुंबकम में विश्वास रखते हैं। हमारी सनातन परंपरा यह नहीं सिखाती है कि यह हमारा है वह तुम्हारा है। हम सब एक अदृश्य शक्ति को मानते हैं। जो सर्वत्र व्याप्त है। रामचरितमानस में कहा गया है कि बिनु पग चले सुने बिनु काना। बिनु कर कर्म करें बिधि नाना।। हम सब साथ मिलकर और एक दूसरे की खुशी में खुश रहना पसंद करते हैं। विगत कुछ वर्षों से देखने को मिल रहा है की राज्यों में प्रतिस्पर्धा दिखाई पड़ रही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी उपलब्धियां गिनाते हैं और जनता उसको स्वीकार करती है। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी उपलब्धियां गिनाते हैं जिसको जनता स्वीकार करते हैं। अच्छा तो वह होता है जिसको जनता कहे। कागजों में सिर्फ अच्छा कहने से कोई अच्छा नहीं बन जाता।




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