गांव से लेकर शहर तक बिजली के लिए हाहाकार कोयले की किल्लत बरकरार

हरदुआगंज पावर हाउस

अपनी नाकामी छुपाने के लिए शासन और प्रशासन कैसे-कैसे दावे कर रहे हैं जबकि हकीकत जनता के सामने है! गर्मी, जाड़ा बरसात का चक्र हमेशा चलता रहता है लेकिन समय रहते  तैयारी ना करना जनता को परेशानियों का सामना उठाना पड़ता है ! गर्मी पहली बार तो आई नहीं है! कहा यह जा रहा है कि गर्मी के चलते मांग बढ़ गई है इसलिए बिजली कटौती हो रही है! जबकि हकीकत यह है कि बिजली घरों को पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिल पा रहा है इसलिए बिजली उत्पादन पूरी क्षमता के साथ नहीं हो पा रहा है! यदि शासन प्रशासन समय से तैयारी किया होता तो शायद आज उसका परिणाम जनता को न भुगतना पड़ता! साथ ही मांग के अनुसार नए पावर हाउसो का भी निर्माण नहीं हो पा रहा है! 

दूसरी तरफ, डबल इंजन की सरकार के इंजन एक दूसरे को उल्टा खींच रहे हैं! केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) वाह कोल इंडिया के 9692 करोड रुपए बकाया का तत्काल भुगतान करने को कहा है भुगतान न करने पर प्रदेश के बिजली रोकने की भी चेतावनी दी गई है केंद्र के इस कदम से वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन के सामने अतिरिक्त बिजली के इंतजाम के साथ भुगतान की चुनौती खड़ी हो गई है! 

यह दूसरी तरफ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में गेहूं का वितरण अब नहीं होगा इसके बदले में पूरा कोटा चावल का दिया जाएगा! इसके अलावा प्रदेश सरकार ने नियमित वितरण के कोटे में भी अदला-बदली की गई है! ऐसी स्थिति कैसे पैदा हुई इसके बारे में यदि शासन प्रशासन पहले से इस पर विचार किया होता तो शायद आज इसका परिणाम गरीब जनता को ना उठाना पड़ता! 




बिजली विभाग के अभियंताओं के अनुसार बिजली की कमी के साथ-साथ सिस्टम ओवरलोड होने और लोकल फाल्ट के साथ ही अन्य तकनीकी वजहों से दिक्कत आ रही है! प्रदेश में बिजली की मांग लगातार 25000 मेगा वाट के आसपास बनी हुई है जबकि सभी स्रोतों से बिजली लेने के बाद कुल उपलब्धता 23000 से 24000 मेगावाट के आसपास है! गांव में 8 से 10 घंटे आपूर्ति हो रही है! जबकि दावा 15 से 16 घंटे का किया जा रहा है! नगर पंचायतों तहसील मुख्यालयों व बुंदेलखंड का भी हाल बुरा है! कहीं भी रोस्टर के अनुसार बिजली नहीं मिल रही है! मंडल और जिला मुख्यालयों पर भी रोस्टर के अनुसार बिजली आपूर्ति नहीं हो पा रही है! 


पूरे प्रदेश में चल रही जबरदस्त बिजली कटौती के बीच कोयले की किल्लत भी बनी हुई है! बिजली घरों को रोजाना की जरूरत से कम कोयले की आपूर्ति हो रही है! अनपरा में 3 दिन ओबरा में 5 दिन तथा हरदुआगंज व पारीक्षा में सिर्फ दो 2 दिन के कोयले का भंडार रह गया है! 

उधर स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार गांव को औसतन 15.25 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है जबकि शेड्यूल 18 घंटे का है! इसी प्रकार नगर पंचायतों और तहसीलों को आस्थान 20 घंटे बिजली मिल पा रही है जब किसी धूल 21.30 घंटे का है! बुंदेलखंड का शेड्यूल 20 घंटे है और औसतन 18 घंटे की आपूर्ति हो पा रही है! अभियंताओं के अनुसार बिजली की कमी के साथ-साथ सिस्टम ओवरलोड होने लोकल फाल्ट तथा अन्य तकनीकी वजहों से भी दिक्कत आ रही है! गर्मी बढ़ने के साथ ही एकाएक फाल्ट भी बढ़ गए हैं! 

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