तीन नए कृषि कानून जिस तरह लाए गए थे उसको लेकर किसानों को लग रहा था कि उनके साथ सरकार की छल करने की योजना है! इसको लेकर किसानों ने जबरदस्त आंदोलन किया! यह आंदोलन दिल्ली बॉर्डर पर लगभग 13 महीने चला! इस बीच किसानों ने जाड़ा, गर्मी, बरसात सहन की! इसके बाद भी सरकार के कान में जूं नहीं रहता था! यही नहीं आंदोलन के चलते 600 से 700 किसान शहीद हो गए! प्रधानमंत्री को 1 दिन भी समय नहीं मिला कि आंदोलनरत किसानों से मिलकर उनकी बात सुने और उसका निस्तारण करने की ठोस योजना बनाए! लेकिन जब विधानसभा चुनाव नजदीक आने का समय आ गया तब सरकार ने किसान आंदोलन के चलते नफा नुकसान को देखते हुए एकाएक तीन नए कृषि कानून वापस ले लिए! किसानों की सबसे बड़ी मांग थी कि उनको न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी) के लिए गारंटी वाला कानून बनाया जाए जो आज भी ठंडे बस्ते में पड़ा है! सरकार कांट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर आज भी उत्साहित है! इसीलिए अब औषधि पौधों की खेती करने के लिए कांटेक्ट फार्मिंग पर जोर दे रही है!
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| तुलसी |
औषधि पौधों की होगी कांट्रैक्ट फार्मिंग इसके लिए कई विभाग मिलकर तैयार कर रहे हैं खेती की नीति! राज्य की निर्माणशला में पौधों से तैयार होंगी दवाएं! प्रदेश में औषधि पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कांट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) शुरू कराने की तैयारी में है!
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| लेमन ग्रास |
खेत से तैयार पौधों को राज्य की निर्माण शाला में भेजा जाएगा! इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी! रोजगार के साधन विकसित होंगे और सस्ते दर पर आयुर्वेदिक दवाएं तैयार हो सके इसके लिए आयुष, वाहय सहायतित परियोजना विभाग, उद्यान विभाग, औषधि पौधा बोर्ड मिलकर नीति तैयार कर रहे हैं! साथ ही कई राज्यों के कांट्रैक्ट फार्मिंग मॉडल का अध्ययन भी किया जा रहा है!
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| सतावर |
प्रदेश के कई क्षेत्रों में औषधीय पौधों की खेती हो रही है लेकिन विपणन की ठीक से व्यवस्था नहीं है! ऐसे में औषधि पौधों की खेती करने वाले किसानों को उनकी उपज का पर्याप्त दाम नहीं मिल पाता है! बाराबंकी और आसपास के क्षेत्र में मेंथा का रकबा कम होता जा रहा है! बुंदेलखंड में महुआ सहित कई औषधीय पौधे मौजूद हैं लेकिन उसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है! सरकार औषधि पौधों की कांट्रैक्ट फार्मिंग शुरू कराने जा रही है! जो किसान खुद से खेती करेंगे उन्हें संबंधित क्षेत्र में पर्यावरण के अनुसार पौधों का चयन करने की और देखरेख के साथ ही तैयार पौधों को राज्य की आयुर्वेदिक निर्माणशला तक पहुंचाने का रास्ता दिखाया जाएगा! इसमें विकल्प भी दिया गया है कि जो किसान खुद औषधि खेती नहीं करना चाहते हैं वह किसान खेत किराए पर देकर लाभ ले सकते हैं! इससे प्रदेश में औषधि खेती का रकबा बढेगा! खाली पड़े खेतों का सदुपयोग भी हो सकेगा!
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| अश्वगंधा |
कांट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों से अनुबंध होगा! इसमें किसान खेती कराने वाले और खेत से तैयार माल को खरीदने वाले सभी की हिस्सेदारी तय होगी! इससे संबंधित पौधों के दाम में गिरावट होने की स्थिति भी किसानों का जोखिम कम होगा! जिन किसानों के पास 5 से 10 बिस्वा जमीन है वह भी औषधि पौधों की खेती कर सकेंगे अभी वह इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि कम संख्या में तैयार होने वाले पौधों को बेचने का विकल्प नहीं मिलता है!
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| अकर्करा |
मेंथा, अश्वगंधा, लेमनग्रास, अकरकरा, सहजन, सतावर, हल्दी तुलसी, अदरक और काली मिर्च की खेती पर जोर दिया जाएगा
आयुर्वेदिक निदेशक प्रो एसएन सिंह ने बताया कि औषधि पौधों की कांट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसान को कम लागत में अधिक मुनाफा देने का प्रयास होगा! औषधि पौधों से राज्य की निर्माणशाला में दवाएं तैयार होंगी! निर्माणशाला में किस पौधे की कितनी जरूरत है और संबंधित क्षेत्र में जलवायु के हिसाब से कौन सा पौधा तैयार कराया जा सकता है इसे ध्यान में रखकर खेती कराई जाएगी!
उधर उर्वरक और अन्य कृषि उत्पादों की कमी एवं उनकी ऊंची कीमतों की वजह से भारत पाकिस्तान श्रीलंका बांग्लादेश में कृषि क्षेत्र प्रभावित होगा इससे फसल कमजोर होगी एवं निकट भविष्य में खाद्य कीमतें और बढ़ेंगी ऊर्जा की उच्च कीमतों के साथ दाम बढ़ने के कारण पूरे क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा बढ़ने की आशंका है क्षेत्र में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई 2022 में बढ़कर 9.5 फीसद पर पहुंच सकती है जो 2021 में 8.9 फीसद थी!







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