लव कुश को लेकर लोकगीत है कि बाणों से बाण काट दूंगा तुम्हारा नहीं बचोगे बाण आता हमारा। अभी तक ग्रामीण क्षेत्र मैं पीने के पानी पर टैक्स नहीं था। गांव के लोग अपनी परंपरा के अनुसार कुआं और हैंडपंप पर निर्भर थे। भूगर्भ के जल स्रोतों से पानी लेने पर गांव वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन सरकार अब कुल जनसंख्या का लगभग 70 फीसद आबादी जो गांव में निवास करती है वह वाटर टैक्स से आजाद थी। अब ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी को भी टैक्स के दायरे में लाने की योजना सरकार ने बना ली है। सरकार गरीब किसान को कुछ भी फ्री में देना नहीं चाहती है।
अभी तक गांव वाले गरीब किसानऔने-पौने दामों पर अपनी फसल बेचकर जैसे तैसे बिजली का बिल जमा करते थे। अब उनके ऊपर एक और भार पड़ने वाला है। यह भार वाटर टैक्स के रूप में वसूला जाएगा। इसके बाद बचता है हाउस टैक्स, सीवर टैक्स वह भी कुछ वर्षों बाद टैक्स के दायरे में आ जाएगा। अब शहर की तरह गांव वालों को भी वाटर टैक्स, हाउस टैक्स और सीवर टैक्स देना पड़ेगा। यह अलग बात है कि गांव वालों के पास चप्पल जूता और कपड़े खरीदने के लिए पैसे नहीं जुटा पाते हैं लेकिन सरकार का टैक्स देना ही पड़ेगा वह चाहे जहां से व्यवस्था करें।
प्रदेश में हर घर नल योजना के तहत पानी के बिलों के वितरण और वसूली के लिए जल सखी तैनात की जाएंगी पहले चरण में 20000 से अधिक जल सखियों की नियुक्ति की तैयारी है राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित महिला स्वयं सहायता समूह से जल सखियों का चयन किया जाएग। देश के हर घर को नल से जल उपलब्ध कराने की योजना के लिए हर परिवार को कनेक्शन लेना होगा। कनेक्शन का बिल और इसकी वसूली के लिए हर ग्राम पंचायत में एक जलसा की तैनात की जाएगी। विकास विभाग और मिशन के स्तर पर जल सखी तैनात करने की योजना बनाई जा रही है।


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