अनुसूचित जाति के लोग पलायन के लिए मजबूर अपने घरों पर मकान बिकाऊ का लगाया बैनर

 


पुराने जमाने में छुआछूत को लेकर ऐसी प्रथा के की अनुसूचित जाति के लोगों को मंदिर जाने पर मनाही थी ! किसी ने कहा था कि यदि हरिजन के छू लेने से है मंदिर का कल्याण नहीं तो मैं बस यही कहूंगा मंदिर में पत्थर है भगवान नहीं ! आज समाज में बदलाव आया और छुआछूत जैसी कुप्रथा का अंत हुआ लेकिन आज कुछ वर्ग के लोग भयभीत हैं कहीं ऐसा ना हो कि वही पुरानी प्रथा फिर लौट आए ! जेएनयू के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार ने कहा था कि हमें आजादी चाहिए! इसको लेकर कन्हैया कुमार को कई प्रकार के कठिनाइयों का सामना करना पड़ा! जबकि कन्हैया कुमार का कहना था कि हमें आजादी बेरोजगारी से चाहिए, हमें आजादी महंगाई से चाहिए, हमें आजादी अतिक्रमण से चाहिए! आज देश में बेरोजगारी सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है इस पर कोई डिबेट और बहस नहीं होती है! महंगाई को चरम पर है यहां तक का किसान अपने खेत की एक बीघे की जुताई करने के लिए तेरा ₹1300 भुगतान करना पड़ता है! किसान की फसल की पैदावार का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है! किसान अपनी फसल को औने पौने दामों पर बिचौलियों के हाथ बेचने के लिए मजबूर है! 

कहां गया बीजेपी का भय मुक्त नारा! अब तो हर वर्ग के लोग यह सोचने के लिए मजबूर हैं कि कहीं ऐसा न हो कि हमारा भी नंबर आ जाए! यह कहा जाए कि आपके पूर्वज भारत के निवासी ही नहीं थे! केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ क्या अन्य बड़े नेता चुनाव में कानून व्यवस्था को लेकर जोर शोर से प्रचार प्रसार किया था कि अब लोग पलायन नहीं करते हैं! दंगों को लेकर भी बार-बार प्रचार प्रसार किया गया कि अब दंगे नहीं होते! एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब माताएं बहने गहने पहनकर रात 12:00 बजे आवागमन कर सकती हैं! कुछ लोगों ने वर्तमान के हालत देखकर के नाम ना छापने की शर्त पर कहा है कि आज स्थिति बहुत ही बड़ा हाल हो गई है! अभी तो हिंदू मुस्लिम के बाद की जा रही हैं इसके बाद जो जो इंस्टिट्यूशन नया सरकारी संस्थान गांधी के नाम पर हैं उनको भी बदल दिया जाएगा! उसके बाद जो अंबेडकर और शहीदों के नाम पर संस्थान बने हैं उनके भी नाम बदल दिए जाएंगे! यह कार्यक्रम चलता ही रहेगा! 

अलीगढ़ के सागवान सिटी में रह रहे अनुसूचित जाति के लोगों ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती पर भंडारा ना करने  की अनुमति पर मजबूर होकर अपने घरों पर "मकान बिकाऊ है" का बैनर लटका दिया है! "दलित उत्पीड़न से पलायन को मजबूर लिखा है" वही सांगवान सिटी के सीएमडी डॉक्टर नरेंद्र सांगवान ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कभी कार्यक्रम की अनुमति न देने से मना नहीं किया! 

सांगवान सिटी के निवासी संतोष कुमार ने कहा कि 2017 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती प्रशासन की अनुमति से कराना चाहते थे लेकिन कार्यक्रम से 3 दिन पहले सभी पार्को और निर्धारित पार्क में पानी भरवा दिया गया जिससे कार्यक्रम न कर सके! इनदु बौद्ध ने कहा कि बड़े जतन से घर बनवाया था लेकिन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती पर भंडारा करने की अनुमति नहीं दी गई! इसलिए मकान बेचकर पलायन करने को मजबूर है! 70 से ज्यादा घरों पर मकान बिकाऊ है का बैनर लटक रहा है! 

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