केंद्र सरकार ने विदेशी कोयला आधारित परियोजनाओं के लिए बिजली दरें बढ़ाने का खोला रास्ता

 


ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव घनश्याम प्रसाद की ओर से भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि अगर महंगे विदेशी कोयले के कारण उनकी महंगी बिजली पीपीए वाला राज्य नहीं खरीदता है तो उसे पावरएक्सचेंज पर बेंच सकते हैं। इसका मुनाफा पीपीए वाले राज्य और उत्पादक के बीच 50-50 फीसद बंट सकता है। अर्थात केंद्र सरकार ने विदेशी कोयला आधारित परियोजनाओं के लिए बिजली दरें बढ़ाने का रास्ता खोल दिया है।


केंद्र सरकार ने आयातित कोयला आधारित बिजली इकाइयों को पूरी क्षमता पर चलाने का नया आदेश जारी किया है। केंद्र ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि इन बिजली घरों से जिस राज्य के साथ बिजली खरीद का करार (पीपीए) है अगर वह नहीं खरीदता है तो उत्पादक अपनी महंगी बिजली पावर एक्सचेंज में बेंच सकता है। इसका मुनाफा उत्पादक और पीपीए वाले राज्य के बीच बराबर बंटेगा।


ऊर्जा मंत्रालय की ओर से सभी विदेशी कोयला आधारित 17600 मेगावाट क्षमता के 13 बिजली घरों को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 11 के तहत अपनी इकाइयों को पूरी क्षमता पर चलाने का निर्देश जारी किया गया है।


उधर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अभी केंद्र सरकार विदेशी कोयले की खरीद के लिए राज्यों पर दबाव बना रही थी। अब सरकार ने आयातित कोयला आधारित बिजली घरों की बिजली बेचने का रास्ता भी तैयार कर दिया है। उन्होंने कहा कि इससे ऊर्जा क्षेत्र तबाह हो जाएगा। प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप कर पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच करानी चाहिए। वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद देश के सभी निजी घराने अब विदेशी कोयला आधारित इकाइयों की उत्पादन लागत ज्यादा होने का तर्क देकर पावर एक्सचेंज में बिजली बेचने की तय की गई अधिकतम सीमा ₹12 प्रति यूनिट को हटवाने की मुहिम छेड़ दें गे ऊर्जा क्षेत्र में जिस प्रकार से निजी घरानों को लाभ देने के लिए रोज नए आदेश किए जा रहे हैं। उसे देखकर वह दिन दूर नहीं जब बहुत बड़ा घोटाला सामने आएगा।

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