महंगाई ने गरीब किसान बेरोजगार नौजवानों का जीना दुश्वार कर दिया है। तेल गैस कंपनियों ने शनिवार को घरेलू एलपीजी सिलेंडर 50 रुपए महंगा कर दिया। लखनऊ में अब 14.2 किलो का रसोई गैस सिलेंडर 1037.50 का मिलेगा 22 मार्च को भी दाम 50 रुपए बढ़ाए गए थे। लखनऊ में 5 किलो ग्राम का रसोई गैस सिलेंडर भी महंगा हो गया है। यह अब 332.50 रुपए के बजाय 380 रुपए में मिलेगा। वहीं 19 किलो का व्यवसायिक सिलेंडर 950 रुपए की कमी के बाद 2448.50 में मिलेगा।
बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक का (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई के बीच 4 साल बाद रेपो दर 40 आधार अंक बढ़ाकर (0.40 फीसद) 4.40 फीसद कर दी। इससे आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा और बैंकों का कर्ज महंगा हो जाएगा घर और कार की किश्त के साथ ही जमा दरें भी बढ़ जाएंगी। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आपात बैठक में अगस्त 2018 के बाद रेपो दर में बढ़ोतरी की है। बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) भी 0.50 फीसद बढ़ाकर 4.5 फीसद कर दिया । इससे बैंकों की नगदी में 87000 करोड रुपए की कमी आएगी। सीआरआर में वृद्धि 21 मई से लागू होगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा बढ़ती महंगाई के चलते यह कदम उठाया है। खुदरा महंगाई दर 3 माह से 6 फीसद से ऊपर बनी हुई है। सभी 6 सदस्य दर बढ़ाने पर सहमत थे। केंद्रीय बैंक ने 22 मई 2020 को मांग बढ़ाने के इरादे से रेपो दर घटाकर सबसे निचले स्तर 4 फीसद कर दी थी।
डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस मैं मूल्यवृद्धि से लगभग हर वस्तु पर महंगाई की मार पड़ने लगती है। नमक से लगाकर हर वह छोटी बड़ी वस्तु महंगी हो जाती है जिसको हर आदमी अपनी दिनचर्या में प्रयोग करता है। इसके सापेक्ष किसानों के उत्पादों में नाम मात्र की वृद्धि की जाती है। देसी गरीब किसान, बेरोजगार नवजवान महंगाई की मार से सबसे ज्यादा परेशान होता है।
गांव में भले ही उज्जवला योजना में कुछ लोगों को फ्री में गैस सिलेंडर दिया गया था लेकिन रसोई गैस के बढ़ते दामों में उज्जवला योजना के सिलेंडर को भराने में गरीब लोग पूरी तरह असमर्थ हैं। इसलिए गैस सिलेंडर को अब लोग स्टूल बना दिया है। घर का बेकार पड़ा सामान गैस सिलेंडर पर रख देते हैं। अब यह गैस सिलेंडर खाना बनाने के काम नहीं आ रहा है। सत्तारूढ़ दल ने उज्ज्वला योजना का जोर शोर से प्रचार प्रसार किया था कि हम चाहते हैं कि गरीब माताओं बहनों के आंखों में धुआं न लगे और वह बगैर आंसू बहाए खाना बना सके। लेकिन आज गरीब किसानों के हाल यह हो गए हैं कि हर पल आंसू बहाने पढ़ रहे हैं।
एक तरफ सरकार स्कूल चलो अभियान चलाते हैं जिसके बाद भी स्कूलों में पूरी क्षमता के साथ बच्चे नहीं मिल पाते। इसका सबसे बड़ा कारण है कि आज की महंगाई में बच्चों के अभिभावक उनका पेट भरने के लिए अपने साथ छोटे-छोटे कामों में लगा लेते हैं जिससे कुछ कमाई हो जाती है और घर चलने में थोड़ी राहत मिलती है। दूसरी तरफ अभिभावक अपने नौनिहालों को स्कूल भेजेंगे तो बच्चों को महंगी कापी किताबें खरीदनी पड़ेगी। वैसे भी पढ़ने लिखने के बाद बच्चों के सामने सबसे बड़ी समस्या रोजी रोजगार की आती है। यदि वह पकोड़ा भी तलना चाहे तो भी रसोई गैस सिलेंडर की मूल्य में वृद्धि और कड़ुआ तेल जो 200 रुपए किलो के आसपास पहुंच गया है और मैदा के साथ ही आलू और पकड़ो में पढ़ने वाला मसाला की व्यवस्था गरीब लोग कहां से करें।
सत्तारूढ़ दल जब विपक्ष में था और केंद्र में मनमोहन की सरकार थी तो जोर शोर से प्रचार प्रसार किया गया था कि बहुत हुई पेट्रोल, डीजल की मार अबकी बार मोदी की सरकार। योग गुरु बाबा स्वामी रामदेव ने कहा था कि बीजेपी सरकार आएगी तो डीजल, पेट्रोल ₹35 लीटर में मिलेगा। प्रत्येक सीएचसी, पीएचसी के साथ ही अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पर्याप्त मात्रा में होगा। विदेशों में जमा काला धन आएगा और हर आदमी के खाते में 15 लाख रुपए आएंगे। भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। अपराध और दंगा मुक्त समाज की स्थापना की होगी। देश की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी। आतंकवाद का पूरी तरह सफाया हो जाएगा। पीएम मोदी ने कहा था के सौगंध इस मिट्टी की देश को न झुकने दूंगा, न ही बिकने दूंगा।


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