तू कितनी अच्छी थी, जनता को प्यारी थी सीएम हेल्पलाइन और डायल 100 व 1090

 


जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीएम हेल्पलाइन 1076 और डायल 100 के साथ में इमरजेंसी में कोई भी पीड़ित बच्चे किशोरी या फिर महिला को शीघ्र पुलिस सहायता उपलब्ध हो इसके लिए यह तीनों हेल्पलाइन नंबर बहुत ही कारगर थे। उसका शुरुआत में लोगों को लाभ भी मिला और उम्मीद भी जगी थी कि अब हर पीड़ित व्यक्ति अपनी समस्या सीधे मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 और इमरजेंसी में डायल 100 और 1090 पर शिकायत दर्ज करा सकता है। जिस पर कार्रवाई भी होती थी यहां तक अधिकारी भी आइजीआरएस अर्थात सीएम हेल्पलाइन 1076 और 100 व 1090 को बड़ी गंभीरता से लेते थे लेकिन कुछ समय बाद इसमें इतना बड़ा परिवर्तन आया कि इन हेल्पलाइन नंबर 1076 और डायल 100  की जगह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निर्देश पर 112 किया गया, लेकिन जनता के लिए फायदेमंद नहीं रह गया।

 यह अलग बात है कि आज भी जब कोई शिकायत सीएम हेल्पलाइन 1076 और इमरजेंसी में 112 पर दर्ज की जाती है तो संबंधित अधिकारी की आख्या लगने के बाद उस पर फीडबैक लिया जाता है और यह फीडबैक तब तक लिया जाता है जब तक शिकायतकर्ता परेशान होकर यह न कह दे कि भाई बस करो अब इसका कोई मतलब नहीं रह गया है। अब इसको क्लोज कर दो। 

क्योंकि यदि शिकायतकर्ता असंतुष्ट का फीडबैक दर्ज कराता है तो फिर बड़े अधिकारी के पास निस्तारण हेतु शिकायत भेजी जाती है, लेकिन फिर वही मनगढ़ंत आख्या लग जाती है। फिर फीडबैक दर्ज करने का समय आता है और फीडबैक लिया भी जाता है। फिर शिकायतकर्ता असंतुष्ट का फीडबैक दर्ज कराता है उसके बाद उससे बड़े अधिकारी के पास शिकायत निस्तारण हेतु भेजी जाती है। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। मनमानी आख्या लगाकर निस्तारित कर दिया जाता है। फिर फीडबैक लिया जाता है फिर उससे बड़े अधिकारी के पास भेजा जाता है फिर मनमानी आख्या लग जाती है। फिर फीडबैक लिया जाता है फिर वही मन मुताबिक आख्या लग जाती है।

 इसी तरह यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक शिकायतकर्ता हताश, निराश और परेशान होकर आखिर में यह कह देता है कि हां हम संतुष्ट हैं। अब हमारी शिकायत क्लोज कर दो लेकिन सही मायने में आज तक एक आध अपवाद को छोड़कर हजारों की संख्या में सीएम हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज की जाती हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है। अब सीएम हेल्पलाइन 1076 जनता के लिए अच्छी नहीं बल्कि यह कहा जाए कि तू कितनी नादान और न समझदार और कितनी बेकार हो गई है कि जनता का भला भी नहीं कर सकती। 

हां यदि पूरे मनोयोग और गंभीरता से सीएम हेल्पलाइन 1076 और 112 व 1090 पर कार्रवाई हो और निस्तारण करने वाले अधिकारी मनमानी आख्या न लगाएं इसके लिए उनकी जवाबदेही तय की जाए और मनमानी आख्या लगाने वाले अधिकारी पर दंड का प्रावधान किया जाए तो आज भी सीएम हेल्पलाइन 1076 और 112 व 1090 जनता के लिए कारगर साबित होगी। नहीं तो इतने बड़े पैमाने पर सीएम हेल्पलाइन में रखे गए कर्मचारी और उस पर खर्च हो रहा जनता का पैसा व्यर्थ में ही जा रहा है।

 यह तो अच्छी बात है कि सीएम हेल्पलाइन 1076 में कार्यरत कर्मचारी जनता की शिकायत सुनकर उसको पंजीकृत कर संबंधित अधिकारी को निस्तारण हेतु भेजा जाता है इसके लिए कर्मचारी बधाई और प्रशंसा के पात्र हैं लेकिन आख्या लगाने वाले अधिकारी पूरी तरह से सीएम हेल्पलाइन को कूड़े की रद्दी समझ कर मनमानी आख्या लगाते रहते हैं और निर्धारित समय पर निस्तारित भी कर देते हैं। 

मेरी जानकारी के अनुसार आज तक कोई भी शिकायतकर्ता ऐसा नहीं मिला है जिसने यह कहां हो कि हमने सीएम हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत की थी उसके बाद हमारी समस्या का समाधान हो गया है। इसी तरह डायल हंड्रेड शुरुआत में बहुत ही अच्छी थी और शिकायत के चंद मिनट बाद पुलिस मौके पर पहुंच जाती थी और उससे लोगों को रात भी मिलती थी।, लेकिन आज डायल हंड्रेड की जगह 112 हो गया है इसके साथ ही काफी देर के बाद नंबर लगता है शिकायत सुनी जाती है पुलिस जाति भी है फिर उसको थाने पर प्रार्थना पत्र देने के लिए बुलाया जाता है। संबंधित अधिकारी आज 112 को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं। इसलिए शिकायतकर्ता अर्थात जनता को 112 का पूरी तरह लाभ नहीं मिल रहा है। 

यह स्थिति तब और विकराल हो जाती है जब कोई पीड़ित बच्ची, किशोरी, महिला 112 पर शिकायत दर्ज कराती है तो काफी देर तक 112 मिलता ही नहीं है, यदि भाग्य अच्छी हो तो मिल गया उसके बाद पुलिस कितनी देर बाद घटनास्थल पर पहुंचती है यह तो विचार करने योग्य है। इसको लेकर लोगों का मानना है कि 112 पर शिकायत करने के बाद पुलिस तब पहुंचेगी जब अपराधी घटना को अंजाम देकर चले जाएंगे। इसलिए 112 से भी उद्देश्य की पूर्ति बहुत ही कम हो पा रही है।

हां इतना जरूर कहेंगे की सीएम हेल्पलाइन कंट्रोल रूम में जो कार्यरत कर्मचारी हैं वह अच्छे हैं प्रशंसा और सराहना के पात्र हैं यदि सरकार उनका सम्मान करती है तो यह अच्छी बात है होना भी चाहिए। आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बुधवार को सीएम हेल्पलाइन दसों क्षेत्र के कॉल सेंटर में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया उपाध्याय ने कॉल सेंटर का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की जानकारी ली।

लखनऊ के विभूति खंड स्थित सीएम हेल्पलाइन 1076 के निरीक्षण में अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से प्रदेश के विभागवार समस्याओं और उनके निवारण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान उपाध्याय ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए दिव्यांग कर्मचारियों को खड़ा देखकर कुर्सी मंगा कर बैठाया और स्वयं पास जाकर उनको प्रशस्ति पत्र दिए। इस मौके पर यूपी डेस्को के नितिन माथुर, शारदा प्रसाद वर्मा और ध्रुव कुमार मिश्रा मौजूद थे।


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