दिल्ली नगर निगम के अधिकारी बुलडोजर लेकर जहांगीरपुरी में पहुंचे। जहां भगवान हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर पिछले हफ्ते हुई हिंसा थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने इलाके में हो रही कार्रवाई पर ब्रेक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने एनडीएमसी के विध्वंस अभियान पर यथास्थिति का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत गुरुवार को इस मामले में सुनवाई करेगी। भाजपा शासित नगर निकाय की ओर से अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू करने के फैसला के बाद क्षेत्र में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के लगभग 15 सौ जवानों को तैनात किया गया था। ड्रोन से निगरानी की जा रही थी। जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान हिंसक झड़पों में 8 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
सीजेआई एन वी रमण जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ से याचिकाकर्ता जमीअत उलमा ए हिंद के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि कुछ बेहद गंभीर हो रहा है और आपको दखल देने की जरूरत है। पिछले हफ्ते जहां दंगे हुए जहांगीरपुरी के उस इलाके में इमारतों के कुछ हिस्सों को हटाने का आदेश दिया गया है। यह पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी है। अतिक्रमण हटाने के अभियान से पहले 5 से 15 दिनों के नोटिस की आवश्यकता होती है। लेकिन एनडीएमसी ने कोई नोटिस भी नहीं भेजा। दवे ने कहा नगर निगम अधिनियम में इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ अपील का प्रावधान है। और हमने उसी के तहत आपके समक्ष आवेदन दाखिल किया गया है। दवे की दलील पर सीजेआई एन वी रमण यथास्थिति का आदेश दिया है।
दूसरी बार कोर्ट पहुंचे तक रुकी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई। अभियान सुबह 9:30 बजे शुरू किया गया 10:30 बजे तोड़फोड़ शुरू हुई सुबह 11:25 बजे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी एनडीएमसी के अफसरों को दी गई। हालांकि उन्होंने आधिकारिक सूचना ना होने का हवाला देकर अभियान जारी रखा। इसको लेकर वादी पक्ष दोबारा कोर्ट पहुंचा तब सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को यह आदेश एनडीएमसी की और दिल्ली पुलिस प्रमुख तक पहुंचाने का निर्देश दिया। रजिस्टार जनरल से सूचना मिलने के बाद दोबारा लगभग 12: 20 बजे एनडीएमसी ने विध्वंस अभियान रोक दिया। निगम के लगभग 2000 वर्ग मीटर क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराने का दावा किया है इस बीच 12 दुकानों के आगे के हिस्से में अतिक्रमण को तोड़ा गया है।
.jpeg)
एक टिप्पणी भेजें
please do not comment spam and link