लखनऊ में पारा 44 के पास पहुंचा, प्रचंड गर्मी में बिजली ने लोगों को दिया जोर का झटका

 

लखनऊ में अधिकतम ताप महान 43.8 डिग्री तक पहुंच गया। अप्रैल 2019 में अधिकतम तापमान 44.6 डिग्री तक पहुंचा था। कानपुर में गुरुवार को पारा 45.8 डिग्री तक पहुंच गया। वही प्रयागराज में 45.9 डिग्री पारा दर्ज किया गया। 27-28 अप्रैल को झांसी में दिन का तापमान 45.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। 

वहीं मांग जाने से और शासन-प्रशासन की लचर व्यवस्था के चलते इस प्रचंड गर्मी में अघोषित भारी बिजली कटौती का लोगों को सामना करना पड़ रहा है। 24 घंटे बिजली देने का दावा करने वाली सरकार गांवों के साथ ही तहसील मुख्यालयों में 10 घंटे बिजली कटौती कर रही है। मांग को पूरा करने में पावर कारपोरेशन प्रबंधन नाकाम साबित हो रहा है। 

यह वही सरकार है जो चुनाव में विपक्ष पर जोर शोर से हमला किया था कि सपा, बसपा की सरकार में लोगों को 10 घंटे बिजली नहीं मिल पाती थी। हमारी सरकार ने जनता को 24 घंटे बिजली देने का काम किया है। लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ ही भारत देश की जनता बहुत ही धैर्यवान और समझदार हैं। जनता ने कोरोना महामारी की अव्यवस्था को बर्दाश्त करने के साथ ही पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के आए दिन मूल्य बढ़ने के कारण बड़ी महंगाई और बेरोजगारी आदि को भुलाकर फिर बीजेपी सरकार के 5 किलो राशन पर भरोसा किया और प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई। 

स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) की गुरुवार की रिपोर्ट के अनुसार गांवो के लिए 18 घंटे का रोस्टर निर्धारित है जबकि आपूर्ति सिर्फ 8 घंटे ही हो पा रही है। जबकि ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी रात बिजली की कटौती की सूचना है जिला और मंडल मुख्यालय तथा महानगरों को 24 घंटे आपूर्ति का दावा तो किया जा रहा है लेकिन लखनऊ, कानपुर, प्रयागरज, आगरा, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़, झांसी समेत लगभग सभी बड़े छोटे शहरों में कई कई घंटे की अघोषित कटौती से लोग बेहाल हैं।

ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश की कुछ विद्युत उत्पादन इकाइयां तकनीकी कारणों से कई सप्ताह से बंद हैं। इनमें हरदुआगंज 660, मेजा 660 बारा 660 मेगावाट हैं। हरदुआगंज 605 मेगावाट भी मौसमी आंधी से क्षतिग्रस्त रही। इन्हें ठीक कर अधिकतम आपूर्ति के प्रयास जारी हैं। ऊर्जा मंत्री ने अपने ट्वीट में हरदुआगंज में 605 मेगावाट की इकाई के आंधी से क्षतिग्रस्त होने की बात कही है जबकि प्रदेश में 605 मेगावाट क्षमता की कोई इकाई है ही नहीं।

उधर राज्य विद्युत उत्पादन निगम के बिजली घरों को रोजाना 87 हजार मीट्रिकटन कोयले की आवश्यकता है, जबकि 59500 मीट्रिकटन कोयले की ही आपूर्ति हो पा रही है। अनपरा में छह ओबरा और हरदुआगंज में चार-चार दिन तथा पारीक्षा में 1 दिन का कोयला शेष रह गया है।

  उधर पूर्व मुख्यमंत्री व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव में बार-बर जोर दिया था कि बीजेपी सरकार ने एक भी पावर हाउस लगाने का काम नहीं किया है। फिर भी 24 घंटे बिजली देने का वादा करती हैं। हमारी सरकार ने कई पावर हाउस लगाए और उनको पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध कराया। कांग्रेस को कोसा जाता है कि 70 साल में कुछ नहीं किया, जबकि राजीव गांधी की सरकार में गांव को बिजली देने के लिए राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजना शुरू की थी। जिसका लाभ आज ग्रामीण क्षेत्रों को मिल रहा है। राजीव गांधी नहीं सूचना क्रांति लाए थे जिसका आज इतना विस्तार हुआ कि हर घर में टेबलेट और मोबाइल है। मनमोहन सरकार में मनरेगा, आरटीआई जैसी योजनाओं की शुरुआत की जिसका आज ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को फायदा मिल रहा है।

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