विधानसभा चुनाव 2022 में एक बड़ा मुद्दा उभर कर सामने आया था नई पेंशन योजना (एनपीएस)। बता दें कि कर्मचारियों ने नई पेंशन योजना खत्म कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग उठाई थी। इसी को लेकर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा तक कर दिया था। इस वादे का असर इतना हुआ कि कर्मचारियों के बड़े तबके ने अपनी मांग के समर्थन में सत्ताधारी दल के विरोध में चुनाव में मतदान किया था। जिसकी झलक पोस्टल बैलट की गिनती में सामने आई थी। इस पोस्टल बैलट की गिनती मैं यह बात सामने आई कि सपा को 51 फीसद मिले। इसी को लेकर प्रमुख विपक्षी दल सपा बहुत उत्साहित हैं। यहां तक कहा कि इसके अनुसार सपा को 300 से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए थी।
पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग के मुद्दा का असर यहां तक हुआ कि प्रचंड बहुमत में आई बीजेपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब नई पेंशन योजना (एनपीएस) में पहला बड़ा सुधार किया है। विशेष सचिव वित्त नील रतन कुमार ने एनपीएस में इस अहम बदलाव संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है उन्होंने कहा कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा नई व्यवस्था को लागू करने के लिए वित्त विभाग में 19 मई 2016 के शासनादेश में संशोधन किया है।
अब सरकार ने तय किया है कि कर्मचारी के संचित पेंशन फंड में से सरकार के अंशदान और उस पर बने प्रतिलाभ कों ही सरकारी खजाने में अंतरित किया जाएगा। शेष कर्मचारी के अंशदान से संचित पेंशन कार्पस की पूरी राशि प्रतिलाभ सहित नामिनी को लौटा दी जाएगी। यदि किसी को नामिनी नामित नहीं किया जाता तो यह रकम विधिक उत्तराधिकारी को दिया जाएगा। नामिनी को पारिवारिक पेंशन की सुविधा पूर्व की तरह मिलेगी।
एनपीएस के अंतर्गत कर्मचारी का एक प्रान खाता खोला जाता है। इसमें कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसद तथा सरकार 14 फीसद का अंशदान करती है। इस 24 फीसद अंशदान से कार्मिका पेंशन फंड बनता है। अभी तक यह व्यवस्था थी कि सेवाकाल में यदि का जारी की मृत्यु हो जाती है तो सरकार प्राण खाते में जमा पूरा फंड राजकोष में जमा करने की फिरते नियमों के अनुसार नॉमिनी को पारिवारिक पेंशन की सुविधा दी जाती थी।
दूसरी तरफ गरीब किसानों को एक बड़ी उम्मीद थी जिसको किसी भी राजनीतिक दल ने विधानसभा चुनाव 2022 में मुद्दा नहीं बनाया था। इसलिए आज 70 फीसद गरीब किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया। यहां तक कि उम्मीद थी कि 2017 की तरह यदि बीजेपी सरकार सत्ता में आई थी तब उनका केसीसी लिया गया कर्ज माफ हो हो गया था। इसीलिए कुल जनसंख्या का 70 फीसद जनसंख्या जो गरीब किसान है। उन्होंने विधानसभा चुनाव 2022 में भी बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जिताने का काम किया लेकिन आशा उम्मीद अब नउम्मीद में बदल गई है। गरीब किसान केसीसी पर लिए गए कर्ज को लेकर बहुत चिंतित है अब किसानों की समझ में नहीं आ रहा है कि यह कर्ज की रकम कैसे चुकाएंगे।

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