उत्तर प्रदेश में covid-19 कोविड-19 के दौरान विभिन्न अस्पतालों में मैन पावर की कमी को दूर करने के लिए एजेंसियों के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्त की गई थी। इन संविदा कर्मचारियों में नान मेडिकल साइंसटिस्ट, डाटा एंट्री ऑपरेटर, सैंपल कलेक्टर, लैब टेक्नीशियन, ओटी टेक्निशियन, वार्ड बॉय और स्वीपर आदि शामिल हैं। इनकी संख्या लगभग 8951 है। इन सभी संविदा कर्मचारियों की तैनाती 31 मार्च 2022 तक के लिए की गई थी। सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने मैन पावर एजेंसियों को कार्यकाल खत्म होने का निर्देश जारी कर दिया। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इनका कार्यकाल 1 माह बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। यह सभी संविदा कर्मचारी 30 अप्रैल तक संबंधित अस्पतालों में सेवा देंगे। महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ वेदव्रत ने बताया कि इस संबंध में सभी सीएमओ को निर्देश दे दिए गए हैं। सरकार के इस फैसले से अस्पतालों में तैनात 8951 संविदा कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।
महामंत्री संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ सच्चिदानंद मिश्र ने बताया कि कोविड-19 के दौरान जान की बाजी लगाकर कार्य करने वाले सभी संविदा कर्मचारियों को अस्पतालों में खाली पदों पर समायोजित किया जाना चाहिए। इससे अस्पतालों को प्रशिक्षित कर्मचारी मिल जाएंगे और कर्मचारी बेरोजगारी से भी बच जाएंगे।
उधर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के सरकारी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में संविदा पर तैनात कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए उनके सेवा समाप्त के आदेश को रद्द कर दिया गया है। कोर्ट ने अक्टूबर 2020 से विभिन्न तिथियों पर जारी इन आदेशों को मनमाना करार दिया है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने यह अहम फैसला संविदाकर्मियों की ओर से दाखिल सात याचिकाओं पर दिया है। मार्च 2019 को आयुष विभाग के सचिव की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग में सभी संविदाकर्मियों को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने पर कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया गया। हालाकि आवश्यकता को देखते हुए 6 जुलाई 2019 को फिर या संविदाओं का नवीनीकरण कर दिया गया, लेकिन इस बार उनके संविदा की अवधि समाप्त होने पर अक्टूबर 2020 से अलग-अलग तिथियों पर आदेश जारी करते हुए संविदा कर्मचारियों को कार्य मुक्त कर दिया गया। इसको लेकर याची संविदाकर्मियों ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने उक्त आदेश के साथ याचिकाएं मंजूर कर ली।
उधर सरकारी नौकरी में चयनित अभ्यार्थियों को कार्यभार ग्रहण करने के लिए पहले से ज्यादा समय विस्तार भी दिया जा सकेगा हालांकि प्रथम नियुक्ति आदेश की प्राप्ति के 6 माह के बाद कार्यभार ग्रहण न करने पर चयनित अभ्यर्थी का नियुक्ति आदेश निरस्त हो जाएगा शासन ने इसके लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। अपर मुख्य सचिव कार्मिक डॉ देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि पूर्व की तरह संबंधित विभागों की संस्तुतियों और आवंटन प्राप्त होने के 3 माह में ही नियुक्ति आदेश जारी करना सुनिश्चित किया जाएगा लेकिन प्रथम नियुक्ति आदेश जारी करते समय चयनित अभ्यर्थी को कार्यभार ग्रहण करने के लिए नियुक्ति आदेश प्राप्त से 1 से 2 माह का समय दिया जा सकेगा यदि चयनित अभ्यर्थी समय बढ़ाने के लिए और चित्र सहित प्रार्थना पत्र देता है तो प्रशासकीय विभाग प्रथम नियुक्ति आदेश प्राप्त करने से अधिकतम 3 माह तक उदारता पूर्वक विस्तारित कर सकेगा।

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