एक तरफ पत्रकार को तनख्वाह देने वाले मीडिया हाउस जो सरकार के मन मुताबिक कहीं न कहीं काम कर रहा है। यदि पत्रकार अपने मीडिया हाउस के मालिकान कहना न माने तो उसकी नौकरी भी जाएगी। दूसरी तरफ जनता की बात नहीं रखी जाती है तो जनता पत्रकार और पूरी मीडिया को गोदी मीडिया की संज्ञा देने लगते हैं। जबकि हकीकत यह है कि अधिकांश पत्रकार अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। इसी के चलते पत्रकार की गिरफ्तारी का चौतरफा जमकर विरोध हो रहा है।
पत्रकारों की रिहाई की मांग और दर्ज मुकदमे वापस लेकर जिलाधकारी और पुलिस अधीक्षक के निलंबन के लिए बैरिया क्षेत्र के पत्रकारों ने शुक्रवार को अपने हाथों पर काली पट्टी बांधकर डाक बंगले से तहसील मुख्यालय तक मार्च किया। इस विरोध प्रदर्शन में व्यापारी, छात्र संगठन और राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल होकर नारेबाजी करते हुए तहसील मुख्यालय पहुंचकर पत्रकारों की रिहाई और मुकदमे की वापसी की मांग की और एसडीएम आरके मिश्र को मांग पत्र सौंपा।
कांग्रेश कार्यकर्ताओं ने भी पद यात्रा निकाली और कलेक्ट्रेट पर धरना दिया। पत्रकारों की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए कहा कि बलिया से लेकर लखनऊ तक इसके लिए लड़ाई लड़ी जाएगी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रदेश सरकार तानाशाही वाला रवैया अपना रही है। पत्रकार जनता के बुनियादी मामलों को उठाते हैं लेकिन सरकार उनकी आवाज दबाने का प्रयास कर रही है।
उधर चंदौली में भी पत्रकारों ने शुक्रवार सुबह जुलूस निकाला लाल बहादुर शास्त्री पार्क में सभा की गई। पत्रकारों ने पेपर लीक प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषियों को दंडित करने की मांग की है।
उधर आजमगढ़ में लोकतंत्र रक्षक सेनानी सेवा संस्थान के पदाधिकारियों और सपा कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए मामले की जांच कराकर दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की मांग की गई है । लोकतंत्र रक्षक सेनानी सेवा संस्थान के पदाधिकारियों की बैठक शुक्रवार को रोडवेज स्थित कार्यालय पर हुई जहां जिला अध्यक्ष कन्हैयालाल श्रीवास्तव ने कहा कि बोर्ड परीक्षा में नकल माफियाओं पर नकेल कसने में विफल पुलिस प्रशासन ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर आघात किया है।
सगड़ी में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी विरोध प्रकट किया। राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा गया। बता दें कि उत्तर प्रदेश के बलिया में यूपी बोर्ड पेपर लीक मामले की सूचना देने का पत्रकारो को गिरफ्तार कर बड़ी सजा देकर उनकी आवाज दबाने की भरपूर कोशिश की गई है। पेपर लीक मामले की जांच एसटीएफ कर रही है। इस मामले में कई अधिकारी और सफेदपोश रडार पर हैं। शासन की 3 सदस्य टीम भी 2 दिन तक जिले में केंद्र निर्धारण से लेकर अन्य मामलों की पत्रावली खंगालने के बाद लौट चुकी है।
दूसरी तरफ प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव में विपक्ष ने बुलडोजर वाले बाबा की संज्ञा दी गई थी। सीएम योगी आदिनाथ का बुलडोजर जोर शोर से चल रहा है। लोगों का मानना है कि यह बुलडोजर सरकार की मंशा और एक रणनीति के तहत लाया जा रहा है। दूसरी तरफ अपराधी बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। उनको बुलडोजर वाले बाबा और बुलडोजर का भर जरा भी नहीं है।

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