कहावत है कि घर के लड़का खोही चाटे समधाने गुड भयाला मांगे,कहा गया है कि दम बनी रहे घर चुआ करें, हो चाहे जो भी लेकिन सलामी तो होते ही होगी


केंद्र सरकार की तरह सारा दोष नेहरू के सर मड़ने मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही बीजेपी का अन्य नेता पीछे नहीं रहते। उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सारा दोष पूर्व की सरकारों पर डालने में देर नहीं लगाते। गांव में यह कहावत प्रचलित है कि घर के लड़का खोही चाटे, समधाने गड़ भयाला मांगे। अर्थात अपने प्रदेश के 15 करोड लोग भुखमरी की कगार पर हैं जिनको सरकार हर महीने 5 किलो राशन देने का काम कर रही है। साथ ही जिनको राशन और मुफ्त में वैक्सीन लगाई गई है उन पर सरकार एहसान जताती है। 

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1970 में बांग्लादेश से विस्थापित होकर 407 हिंदू परिवारों में से 332 को देश के अलग-अलग हिस्सों में रखा गया था। इनमें से 63 परिवारों को हस्तिनापुर स्थित मदन सूतमिल में पुनर्वास किया गया था। 1984 में मिल बंद होने से यह सब विस्थापित परिवार बेसहारा हो गए थे। इन विस्थापित बांग्लादेशी परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था उत्तर प्रदेश को करनी थी लेकिन किसी सरकार ने इनकी सुध नहीं ली। इन विस्थापित परिवारों का दर्द पहले की संवेदनहीन सरकारों तक नहीं पहुंचता था। 

लोकभवन में आयोजित इस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि होगी कि जिन विस्थापित परिवारों को इतने वर्षों तक रोजगार और आत्मनिर्भरता से वंचित रखा गया उन्हें प्रदेश सरकार अब आत्मनिर्भर की ओर ले जा रही है।

इस शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहां कि 63 विस्थापित बांग्लादेशी परिवारों के लिए कॉलोनी विकसित की जाए। इन्हें आदर्श गांव के तौर पर बसाया जाए और गांव में अस्पताल, स्कूल, पेयजल की सुविधा और सामुदायिक भवन की भी सुविधा दी जाए। उन्होंने इन परिवारों को रोजगार भी मुहैया कराने के निर्देश दिए। कहा कि जिन लोगों को अपने देश में शरण नहीं मिली और आजादी के बाद भी कष्ट झेलना पड़ा उन्हें भारत ने ना सिर्फ शरण दी बल्कि व्यवस्थित पुनर्वास भी कराया है। यह मानवता के प्रति सेवा का अभूतपूर्व उदाहरण है।

2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो प्रक्रिया शुरू की गई। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और राजस्व राज्यमंत्री अनुप प्रधान बाल्मीकि मौजूद रहे थे।

एक परिवार को 2 एकड़ कृषि भूमि का पट्टा और 200 वर्ग मीटर आवासी पट्टा के साथ ही मुख्यमंत्री आवास योजना में आवास स्वीकृत का पत्र दिया गया। इन विस्थापित 63 बांग्लादेशी परिवारों को शासन की अन्य योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा। सभी परिवारों को कानपुर देहात के रसूलाबाद में बसाया जाएगा।

 चुनाव में यह कहा जाता है कि हमारी सरकार ने मुफ्त में वैक्सीन, मुफ्त में 5 किलो राशन दिया है। अपराध पर अंकुश लगाया गया है। विकास की गंगा बहा दी गई है। अर्थात इस बड़े एहसान के बदले में अपरोक्ष रूप से वोट देकर बदला चुकाने की बात कही जाती है। यहां तक का कहा जाता है कि दूसरी सरकार होती तो ऐसा न होता। जबकि कांग्रेस सरकार के साथ ही अन्य सरकारों में भी जनता को मिट्टी का तेल, चीनी के साथ ही राशन भी सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया जाता था। 

50 साल के ऊपर के लोग जानते होंगे जिनके दाहिने हाथ में चेचक का टीका लगा था जिसका आज भी निशान बना है लेकिन कांग्रेस सरकार ने कभी भी उस एहसान के बदले चुनाव में कुछ नहीं मांगा। कांग्रेस ने ही भूमिहीनों को 5 बीघे जमीन का पट्टा किया था। उस एहसान के बदले भी जनता से कुछ नहीं मांगा। औद्योगिक क्रांति, श्वेत क्रांति, हरित क्रांति के साथ ही मनरेगा, आरटीआई, सूचना क्रांति, सड़क रेल और हवाई जहाज तक का विकास कांग्रेस सरकार ने ही किला।

 सपा सरकार में मुलायम सिंह यादव ने किसानों का सबसे पहले ₹10000 कर्ज माफ किया था। सरकारी अस्पतालों में बीजेपी की सरकार में डॉक्टर को दिखाने के लिए बनने वाला पर्चा ₹7  का हो गया था जिसको सपा सरकार में एक रुपए का कर दिया गया था जो आज भी एक रुपए का ही बनता है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कभी भी उस एहसान को चुनाव में भुनाने के लिए जनता को एहसान फरामोश नहीं कहा। 

कहा गया है कि नेकी कर दरिया में डाल। अर्थात एहसान प्रदर्शन करने की वस्तु नहीं है। साथ ही आज के राजनेता दोषारोपण तो कर लेते हैं लेकिन उनके नेक कार्य को कभी नहीं बताते हैं। लेकिन वर्तमान की भाजपा सरकार जो  कर रही हैं वह तो उसकी जिम्मेदारी है तो फिर इसमें एहसान कहां से। यह अलग बात है कि 15 करोड़ जनता को मुफ्त में राशन देकर  आलसी बना कर भीख मांगने का तरीका सिखाया जा रहा है। 

यह अलग बात है कि हमारा देश भुखमरी की सूची में 101 वें स्थान पर है। कहावत है कि दम बनी रहे घर चुआ करें। अर्थात बोलने पर कोई टैक्स नहीं लगता है। देश में बोलने की आजादी संविधान ने दिया है। आज लोग एकल परिवार की तरफ बढ़ रहे हैं। अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए लोगों को दिन रात मेहनत करनी पड़ रही है। इसके बाद भी लोगों का सुख चैन छिन गया है।

 महंगाई के साथ ही देश के अंदर बहुत सारी समस्याएं हैं जिनसे आजादी के लिए पूर्व जेएनयू छात्र कन्हैया कुमार ने कहा कि हमें आजादी चाहिए वह भी देश के भीतर की समस्याओं से। इन समस्याओं से आजादी की मांग करने वाले कन्हैया कुमार को कठोर परीक्षा से गुजरना पड़ा है। फिर भी हमारी समस्याएं जस की तस बनी हुई है और हमारे देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री वाहवाही करने में लगे हुए हैं। यहां तक का कहा कि वर्ष 1970 में बांग्लादेश से विस्थापित होकर उत्तर प्रदेश आए 63 बंगाली हिंदू परिवारों के विस्थापन का दंश 52 साल बाद दूर हो गया है। 


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