Vidhan Parishad chunav 2022 में कायम रहा बुलडोजर का जलवा, चिलम वाले बाबा जीते, अखिलेश हारे

 



Vidhan Parishad chunav 2022 में कायम रहा बुलडोजर का जलवा, चिलम वाले बाबा जीते, अखिलेश हारे।बता दें कि विधान परिषद प्राधिकार चुनाव में अधिकांशतः जिसकी सरकार रही है उसके सर्वाधिक एमएलसी चुने जाते रहे हैं। 2010 में बसपा सरकार में बसपा के 34 सपा के एक और कांग्रेसका एक अमल से चुना गया था। इसी प्रकार 2016 में सपा को 33 बसपा कांग्रेस और निर्धन को एक-एक सीट मिली थी। अभी सपा के 17 एमएलसी बचे हैं इनमें से 28 अप्रैल को 3 और 26 मई को 3 और 6 जुलाई को 6 और एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इस तरह सपा के 5 mlc बचेंगे। नवनिर्वाचित विधायकों के आधार पर सपा गठबंधन 4 mlc मनोनीत कर सकेगी। इस प्रकार विधान परिषद में सपा के 9 एमएलसी होंगे। नियमानुसार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद सपा को तभी मिलेगा जब उसके पास 10 एमएलसी हो।

 विधान परिषद के चुनाव परिणाम मंगलवार को आए जिसमें परिषद में भाजपा सदस्य संख्या 33 से बढ़कर 66 हो गई है। उच्च सदन में भाजपा के 66 सदस्य, सपा के 17, बसपा के चार, कांग्रेस का एक, अपना दल एक, निषाद पार्टी एक, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक एक, शिक्षक दल दो, निर्दल समूह एक, निर्दलीय 3 सदस्य हैं। 3 पद रिक्त है।

विधानसभा चुनाव 2022 के बाद विधान परिषद में भी भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने पर अब योगी सरकार को दोनों सदनों में विधेयक और प्रस्ताव को पारित कराने में आसानी होगी। यह योगी सरकार का कुशल राजनीतिक प्रबंधन ही कहा जाएगा कि पहले कार्यकाल में अल्पमत में होने के बाद भी ऐसा प्रस्ताव या विधेयक नहीं रहा जो अल्पमत के कारण पास न हुआ हो।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2 सीटें ऐसी रही जहां पर भाजपा के उम्मीदवार निर्विरोध जीत गए। बुलंदशहर सीट पर नरेंद्र भाटी को जीत मिली है। चुनाव से पहले नरेंद्र सपा छोड़कर भाजपा में आए थे। यहां से रालोद की सुनीता शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया गया था लेकिन उन्होंने पर्चा वापस ले लिया और भाजपा में शामिल हो गई। इसी प्रकार अलीगढ़ सीट पर ऋषिपाल निर्विरोध चुनाव जीते। यहां सपा प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया था।

पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद सपा ने पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव 2022 का सेमीफाइनल बताते हुए भाजपा की विदाई का दावा किया था। पंचायत चुनाव में भाजपा को सपा ने कड़ी टक्कर दी। उसको देखते हुए लोगों को सपा के दावे में मजबूती दिखने लगी थी। सपा में सीधा मुकाबला हुआ था सपा  100 सीटों से ऊपर पहुंची। इसको देखते हुए कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह निष्कर्ष निकालने लगे थे कि आने वाले समय में सपा भाजपा के विजय रथ को रोकने में कामयाब हो सकती है। लेकिन एमएलसी चुनाव के नतीजों ने इन संभावनाओं की राह में बाधा खड़ी की है। सपा प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चुनौती बढ़ गई हैं।


उधर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में भाजपा ने धांधली और मनमानी की सभी हदों को पार कर दिया है और लोकतंत्र को कुचलने का काम किया है। इसके लिए भाजपा को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। अखिलेश यादव ने कहा कि जातिवादी की दुहाई देने वाले भाजपा की सच्चाई यह है के एमएलसी चुनाव की 36 सीटों में से अट्ठारह पर मुख्यमंत्री के सो जाती जीते हैं। एससी, एसटी और ओबीसी को दरकिनार किया गया है। भाजपा को संविधान लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया में विश्वास नहीं है। वह धन बल और छल से सत्ता में बने रहने के लिए संविधानिक संस्थाओं को कमजोर करने वह लोकतंत्र की सभी मर्यादाओं को भी तार-तार करने में लगी है। पंचायत चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव 2022 और अब स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी चुनाव 2022 में भाजपा ने लोकतंत्र की मर्यादाओं को कुचलने का काम किया है।

विधान परिषद में मनोनीत कोटे के तीन एमएलसी का कार्यकाल 28 अप्रैल को और तीन का कार्यकाल 26 मई को समाप्त हो रहा है।मनोनीत कोटे की सभी 6 सीटों पर भाजपा के सदस्य मनोनीत होंगे। जुलाई में परिषद की विधानसभा क्षेत्र की 14 सीटों का चुनाव होना है। विधानसभा में सदस्य संख्या की दृष्टि से 14 में से लगभग 10 सीटों पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है।

इस चुनाव में अखिलेश के कई करीबी सदस्यों ने मैदान में उतरने से परहेज किया। कुछ ने नाम वापस ले लिया। चुनाव के दौरान सपा के स्थानीय नेताओं के बीच कई जिलों में खेमेबाजी दिखी और वे विधानसभा चुनाव की पराजय का हिसाब किताब बराबर करते नजर आए। विधानसभा चुनाव में सपा का झंडा और बैनर लेकर चले कई पंचायत प्रतिनिधि समर्पण की मुद्रा या पहले से ही पराजय सुनिश्चित मानकर कार्य करते दिखे। यहां सवाल खड़ा हो रहा है कि सपा का सियासी समीकरण जिसमें मुस्लिम और मालवों की बात कही जाती थी वह क्या कमजोर हो रहा है।

27 सीटों पर सपा उम्मीदवार चुनाव लड़े थे सभी हार गए यहां खास बात यह है कि आजमगढ़ मऊ में पार्टी की हर रणनीति फेल रही है। आपसी लड़ाई ने सपा को 356 वोट मिले जबकि दोनों जिलों को मिलाकर सपा के 13 विधायक हैं यहां भाजपा के अरुण कांत यादव 1262 और निर्दलीय विक्रांत सिंह को 4077 वोट मिले हैं ऐसे में आजमगढ़ में होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर शीर्ष नेतृत्व को कड़े कदम उठाने होंगे। साथ ही कील कांटे दुरुस्त करने होंगे। मुलायम सिंह के गढ़ इटावा फर्रुखाबाद में भी सपा उम्मीदवार हरीश को सिर्फ 725 वोट मिले हैं। आगरा फिरोजाबाद में सपा के दिलीप को 905, लखनऊ में सपा के सुनील साजन को सिर्फ 400 वोट मिल पाए हैं।


एमएलसी चुनाव 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार और पार्टी से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं और उम्मीदवारों को बहुत-बहुत बधाई दी है। कहा कि विधान परिषद में जीत ने एक बार फिर भाजपा के विकास मॉडल पर जनता जनार्दन के विश्वास की अभिव्यक्ति है।

भाजपा के निर्विरोध निर्वाचित सदस्य इस प्रकार हैं: बागीश पाठक बदायूं से, अशोक कुमार हरदोई से, अनूप कुमार गुप्ता खीरी से, श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह मिर्जापुर सोनभद्र से, जीतेंद्र सिंह सिंगर बांदा हमीरपुर से, आशीष कुमार यादव और ओम प्रकाश मथुरा एटा मैनपुरी से, ऋषि पाल सिंह अलीगढ़ से, नरेंद्र सिंह भाटी बुलंदशहर से निर्विरोध निर्वाचित किए गए हैं।

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