किसान कर्ज माफी, अपराध पर अंकुश और अतिक्रमण पर बुलडोजर की कार्रवाई से बीजेपी को मिला प्रचंड बहुमत

 


 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने का मौका मिला था। किसानों को बीजेपी के वादे पर बड़ा भरोसा था कि सरकार बनेगी तो किसानों का कर्ज माफ होगा। किसानों की उम्मीद कुछ अपवादो को छोड़कर पूरी भी हुई थी। किसान कर्ज माफी को लेकर 5 साल बाद  विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए कुल जनसंख्या का 70% जो किसान है एकजुट होकर अपना अमूल्य मत दिया है। अब किसान नउम्मीद है कि उनका केसीसी पर लिया गया कर्ज माफ होगा। बहुत सारे गांव के किसानों ने बताया कि हम लोगों द्वारा केसीसी पर कर्ज लिया गया है जिसको अदा करने में पूरी तरह से असमर्थ हैं। यह उम्मीद लगाए थे कि पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी सरकार सत्ता में आई तो हमारा कर्ज माफ हो जाएगा। जिससे हम सब किसान आगे की दिनचर्या को सुचारू रूप से चलाने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।


दूसरी तरफ किसान यह भी उम्मीद कर रहे थे कि यदि बीजेपी सरकार सत्ता में आई तो दबंगों द्वारा अतिक्रमण कर चकरोड के साथ ही दूसरे की जमीन जो दबा बैठे हैं उस पर बुलडोजर की कार्रवाई होगी। चकरोड अतिक्रमण मुक्त होने से किसानों को अपने चेक तक जाने में सहूलियत होगी साथ ही आपसी लड़ाई झगड़े भी कम हो जाएंगे। लेकिन सरकार शहर में अतिक्रमण पर बुलडोजर चला रही है यह तो अच्छी बात है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में अतिक्रमण करने वाले दबंगों पर कार्रवाई हो तो गरीब किसानों को काफी हद तक राहत मिलेगी। साथ ही अपराधों पर अंकुश भी लग जाएगा। क्योंकि अधिकांश  अपराध जर, जोरू, जमीन को लेकर शुरू होते हैं। आगे चलकर बड़े अपराध मे तब्दील जाते हैं। छोटे छोटे अपराधों पर शुरुआत में ही लगाम लगे तो सरकार की जीरोटारलेंस की योजना फलीभूत हो सकती है।

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बता दें कि जिस तरह महंगाई अपना सुरसा रूप दिखा रही है उससे गरीब किसानों की कमर टूट गई है। पेट्रोल डीजल रसोई गैस के मूल्य बढ़ोतरी के कारण खेतों की जुताई, निराई,खाद, बीज, सिंचाई, बिजली आदि ने किसानों का जीना दुश्वार कर दिया है। सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के साथ ही वेतन बढ़ोतरी होती रहती है लेकिन किसानों द्वारा उप जाईगई फसल में नाममात्र की बढ़ोतरी होती है इसके साथ ही 6 फीसद किसानों को ही न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर अपने उत्पाद बेच पाते हैं। बाकी किसान अपनी फसल को औने पौने दामों पर बिचौलियों के हाथ बेचने को मजबूर रहते हैं। इसीलिए किसान दिन पर दिन गरीब होता चला जा रहा है स्थिति यह पैदा हो गई है कि आज किसान अपने बच्चों को पढ़ाई लिखाई के साथ उनकी शादी बरात के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 


किसान बच्चों की शादी और पढ़ाई के लिए केसीसी पर कर्ज ले लेता है जो वह अदा नहीं कर पाता है। सपा सरकार ने सबसे पहले कर्ज माफी की योजना शुरू की थी इससे किसानों को काफी लाभ मिला था और किसान आत्महत्या के मामले में भी गिरावट आई थी। दूसरी तरफ सरकार बड़े-बड़े उद्योगपतियों का एनपीए माफ कर देती है यदि किसानों का केसीसी पर लिया गया कर्ज माफ किया जाए तो किसान फिर से उठ खड़ा होगा और देश प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ेगा। करोन काल में जब सब कुछ बंद था उस समय भी कृषि क्षेत्र ने ही विकास दर को संभाला।


किसान बड़े-बड़े उद्योगपतियों की तरह बेईमान और चालाक व भगोड़े नहीं होते हैं। यह तो चालाक, होशियार उद्योगपति ही सरकार का कई करोड़ रूपया लेकर चंपत हो जाते हैं। विजय माल्या, नीरो मोदी, ललित मोदी अभी जल्द ही हवाई जहाज बनाने और बेचने वाली कंपनी ने भी कई करोड़ का चूना लगा दिया। इसके साथ ही इत्र कारोबारी के यहां ट्रकों रुपया मिलना आदि मामले सामने आए हैं लेकिन एकाध अपवाद को छोड़कर कोई किसान ऐसा नहीं होगा कि सरकार के बड़ी चपत लगाई हो।


दूसरी तरफ युवा बेरोजगार जिस तरह विधानसभा चुनाव 2022 में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ में भीड़ दिखाई पड़ रही थी उससे तो यही लग रहा था कि जनता वर्तमान बीजेपी सरकार से बहुत ही नाराज है। इसके साथ ही कई जगह यहां तक नौबत आई की बीजेपी नेताओं को अपने क्षेत्र में जनता ने जमकर विरोध किया और उनकी चुनावी जनसभा में कुर्सियां खाली रही। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव 2022 का परिणाम आने के बाद कई सीटें ऐसी रहे जहां पर जीत का मामूली अंतर रहा। साथ ही ईवीएम को लेकर ऐसे आरोप भी लगे कि बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात के साथ-साथ पीएम किसान सम्मान निधि और किसानों द्वारा लिए गए केसीसी पर कर्ज को लेकर काफी गंभीर हैं। लेकिन इतने भर से भारत देश के गरीब किसानों का सही मायने में भला होने वाला नहीं है। जब देश का किसान, बेरोजगार, नवजवान दुखी और परेशान होगा तो देश का भला नहीं हो सकता। सरकार लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। केंद्र सरकार द्वारा कहा गया कि हम 80 करोड़ जनसंख्या को मुफ्त में अनाज दे रहे हैं साथ ही प्रदेश सरकार ने भी मुफ्त राशन देने की योजना को अपनी बड़ी सफलता और जनता पर किया गया एहसान जताते रहते हैं। जबकि हमारा देश भुखमरी की सूची में 101 वें स्थान पर है। बेरोजगारी में भी हम अव्वल हैं। अपराध के मामले में भी हम कहीं पीछे नहीं हैं। अब यह तो भविष्य के गर्त में है कि आने वाले 5 सालों और 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता इन सब को किस चश्मे से देखती है।

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