उन्नाव के नवाबगंज का पक्षी विहार


नवाबगंज पक्षी अभयारण्य, जिसका नाम बदलकर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पक्षी अभयारण्य है, उत्तर प्रदेश के कानपुर-लखनऊ राजमार्ग पर उन्नाव जिले में स्थित एक पक्षी अभयारण्य है, जिसमें भारत झील और आसपास के वातावरण से युक्त है। 



ज्यादातर सीआईएस (या पूर्व में यूएसएसआर) देशों से प्रवासी पक्षियों की 250 प्रजातियों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन 1990 के दशक से संख्या घट रही है,  अधिकतर हिमाचल और राजस्थान में नए क्षेत्रों में स्थानांतरित हो रही हैं। अभयारण्य में एक हिरण पार्क, घड़ी और नाव भी हैं।




गंगा और साईं नदियों के बीच स्थित, जिला उन्नाव इतिहास, साहित्य, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के दृश्य से लोकप्रिय है। 6 तहसील उन्नाव, हसनगंज, सफीपुर, पूरवा, बीघापुर और बाँगरमऊ व 16 विकास ब्लाकों में विभाजित है। गंज मुरादाबाद, बाँगरमऊ, फतेहपुर चौरसी, सफीपुर, मियांगंज, औरस, हसनगंज, नवाबगंज, पूरवा, आसोहा, हिलौली, बीघापुर, सुमेरपुर, बिछिया, सिकंदरपुर सिरोसी, सिकंदरपुर करण हैं।

स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख भूमिका निभाते हुए और देश के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले कई बहादुर व्यक्तित्वयो ने जन्म लिया है। उनमें से लोकप्रिय हैं राजा राव राम बक्स सिंह, मौलाना असरत मोहानी, राम बेनी माधव, पीडी। विशाम्बर दयाल त्रिपाठी, ठाक जससिंग, नारत सिंह, बरजोर सिंह, हादी सिंह, देवी बक्स सिंह, मंसब अली, कस्तरी सिंह, भोपाल सिंह और चंद्रिका बक्स सिंह।

जिला साहित्य के क्षेत्र में भी महर्षि वाल्मीकि से गया पीडी तक सही सीखा है। शुक्ला, प्रताप नारायण मिश्रा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निरला’, मौलाना हसरत मोहानी, नंद दुलारे बाजपेयी, सुमित्रा कुमारी सिन्हा, चंद्र भूषण त्रिवेदी (रामाई काका), डॉ राम विलास शर्मा, जगदंबिका पीडी। मिश्रा, भगवती चरण मिश्रा, प्रताप नारायण मिश्रा और शिव मंगल सिंह आदि।

 पुरवा विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत कभी किसानों की जीवन दायिनी कही जाने वाली लोन नदी (Lone river) का पानी बीते एक दशक से अधिक समय से टेनरियो और जमुका पेपर मील का पानी लोन नदी मे छोड़े जाने के बाद से दूषित है. आज हालात ये है की कभी सिचाई के लिए प्रयोग होने वाला नदी का पानी अब गांवों के लोगों को दुर्गंध दे रही है।


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