यदि राज्य वित्त का पैसा मिलना बंद हो गया तो कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल सकेगा लगभग 300 करोड़ की देनदारी है और शहर के रखरखाव पर बढ़ते खर्च को देखते हुए नगर निगम प्रशासन विगत 5 साल से गृह कर बढ़ाने की कोशिश में है अब राज्य वित्त में कटौती हुई तो गृह कार्य बनाता है इसके साथ ही जलकल विभाग की ओर से अभी जलकर की गणना गृह कर के आधार पर की जाती है हाउस टैक्स के लिए जो एआरबी (एनुअल रेंटल वैल्यू) निकाली जाती है उसी के आधार पर जलकल 12.5 फीसद की दर से वाटर टैक्स लेता है ऐसे में जब गृह कर बढ़ेगा तो वाटर टैक्स स्वयं बढ़ जाएगा।
राज्य वित्त से मिलने वाली नगर निगम को मदद बंद करने को लेकर तैयारी चल रही है यदि यह मदद बंद भी तो शहर के लोगों पर गृह कर का बोझ पढ़ना लगता है निगम प्रशासन पहले ही कई साल से कहकर बढ़ाने की कोशिश में है। लेकिन चुनाव के चलते ऐसा नहीं कर सका। नगर निगम पर पहले से ही लगभग 300 करोड़ की देनदारी है ऐसे समय में राज्य वित्त से कटौती शहरवासियों पर गृहकर का बोझ पड़ना तय है।
नए वित्त वर्ष में गृहकर में 10 फीसद की छूट का 10 दिन से इंतजार कर रहे भवन स्वामियों के लिए राहत वाली खबर है। नए वित्त वर्ष के लिए डाटा अपडेट कर एनआईसी ने सर्वर शुरू कर दिया है। अब गृहकर के बिल जनरेट होने शुरू हो गए हैं। और टैक्स जमा होने लगा है। नए वित्तीय वर्ष 2022-23 का ग्रह कर जमा करने पर जुलाई तक 10 फीसद की छूट दी जा रही है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने बताया कि शहर में लगभग 6 लाख ग्रहकरदाता है। इनमें से लगभग 4:30 लाख को एसएमएस के माध्यम से मोबाइल फोन पर ईमेल भेज दिए गए हैं। उसमें ऑनलाइन गृहकर जमा करने का लिंक भी दिया गया है। भवन स्वामी सीधे imc.up.in पर जाकर अपने टैक्स की जानकारी कर सकते हैं। नगर निगम के सभी जोनल कार्यालय में कैश काउंटर पर भी टैक्स जमा हो सकता है।
नगर निगम में कर्मचारियों के वेतन पेंशन को छोड़कर सफाई मार्ग प्रकाश पार्षद कोटा आदि पर 600 करोड़ से अधिक खर्च करना पड़ता है। वही नगर निगम की आय लगभग 400 करोड रुपए के आसपास है।
2010 में गृह कर का रिवीजन किया गया था उसके बाद अब तक उसी दरों पर गृह कर असोला जाता है जबकि नगर निगम अधिनियम में हर 2 साल पर रहकर डिवाइस करने का प्रावधान है ऐसे समय में नगर निगम की आय में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है 20 साल भाजपा पार्षद और कार्यकारिणी सदस्य साधना वर्मा ने महापौर को पत्र लिखकर यह सवाल भी उठाया था कि जब 2 साल में गृह कर रिवाइज करने का प्रावधान है तो अब तक क्यों नहीं किया गया उसके बाद कार्यवाही शुरू हुई लेकिन करो न और अन्य कारणों से मामला दब गया था। जानकारों ने कहा कि पूर्व में गृहकर में बढ़ोतरी का जो प्रस्ताव बना था वह लागू हुआ तो गृह कर की दरों में दोगुने से अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है।
इस मामले को लेकर महापौर संयुक्त भाटिया और नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने कहा कि राज्य वित्त में कटौती इधर बड़ी है लेकिन अभी बंद किए जाने जैसी बात नहीं है। इस संबंध में आदेश भी नहीं आया है। बजट कम होने के चलते ही कार्यदाई संस्था के कर्मचारियों की संख्या में कटौती करनी पड़ी है।

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