विभागीय ऑडिट में उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले में शुल्क भरपाई और छात्रवृत्ति में 90 लाख रुपए के घपले का मामला प्रकाश में आया है। इसके बाद समाज कल्याण निदेशालय में 5 अप्रैल तक जवाब मांगा है। वहीं छात्रों से रिकवरी के साथ दोषी शिक्षण संस्थानों और अफसरों के खिलाफ कठोर कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। समाज कल्याण विभाग निदेशक राकेश कुमार ने जिला समाज कल्याण अधिकारी को इस संबंध में कड़ा पत्र लिखा है। ऑडिट में पया गया है कि लखनऊ के 25 शिक्षण संस्थानों ने गलत तरीके से छात्रों का डाटा भेजा।
एक प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद उसी स्तर के दूसरी स्ट्रीम के प्रोफेशनल कोर्स में योजना का लाभ लेना अनियमित है। इन संस्थानों में एमबीए करने के बाद बीटीसी के लिए शुल्क की भरपाई कर दी। बीकॉम और एलएलबी करने के बाद एमकाम के लिए भरपाई की। इन 25 शिक्षण संस्थानों ने 32,82,215 रुपए का घपला किया। यही नहीं निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में से व्यवसायिक पाठ्यक्रम जिनमें इंटरमीडिएट के अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। उन में न्यूनतम 60 फीसद अंक होने पर ही योजना का लाभ दिया जा सकता है, लेकिन लखनऊ की फार्मेसी और अन्य शिक्षण संस्थानों ने यह अर्हता पूर्ण न करने वाले विद्यार्थियों का भी डाटा आगे बढ़ा दिया। इस तरह से विभाग को 51,08,410 रुपए का चूना लगाया गया है । इसमें निदेशालय ने छात्रों से वसूली के लिए भी कहा है।
इसी प्रकार बगैर काउंसलिंग में हिस्सा लिया प्रवेश लेने वाले छात्रों को भी भुगतान करके 5,56,920 रुपए की गड़बड़ी की गई है। लखनऊ के जिला समाज कल्याण अधिकारी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि साल 2019-20 में दशमोत्तर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के विभागीय ऑडिट में गंभीर गड़बड़ियां मिली हैं इसकी अनुपालन आख्या अभी तक निदेशालय को नहीं मिली है 5 अप्रैल तक ना मिलने पर प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी।

एक टिप्पणी भेजें
please do not comment spam and link